ग़ज़ल एक ऐसी विधा है, जिसने अपनी शुरूआत से लेकर वर्तमान तक बड़ी लम्बी यात्रा तय की है। 'महबूब की बातों' से शुरू हुआ ग़ज़ल का कारव...
ग़ज़ल एक ऐसी विधा है, जिसने अपनी शुरूआत से लेकर वर्तमान तक बड़ी लम्बी यात्रा तय की है। 'महबूब की बातों' से शुरू हुआ ग़ज़ल का कारवां आज 'हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए' से भी आगे निकलने को उद्यत है। आज की ग़ज़ल आम आदमी के ज्यादा करीब है, वह हुस्न और इश्क से इतर जिंदगी के दु:ख-दर्द की भी बात करती है और शायद इसीलिए वह हर दिल अजीज हो सकी है।
लेकिन ग़ज़ल ने जहाँ अपनी विकास यात्रा में एक लम्बा सफर तय किया है, वही उसको लेकर तरह-तरह की कंट्रोवर्सी भी होती रही है। जहाँ कुछ लोग इसे 'बहर' से बाहर करने पर आमादा हैं, वहीं ग़ज़ल के आशिकों की एक ऐसी जमात भी है, जो ग़ज़ल को 'ग़ज़ल' रहने देने के लिए उसकी शास्त्रीय आवश्यकताओं को आज भी ज़रूरी मानती है।
खैर, जहाँ पर वाद होंगे, वहाँ विवाद भी होंगे। यह प्रकृति का नियम है। तो, हम आते हैं अपनी बात यानी कि 'संवाद सम्मान' की ग़ज़ल श्रेणी पर। इस श्रेणी ने भी हमें भी काफी मुश्किल में डाला है। लेकिन अगर हम कारण की चर्चा करने बैठेंगे तो शायद एक अलग पोस्ट ही तैयार हो जाए। इसलिए हम आते हैं 'ग़ज़ल' श्रेणी के सम्मानों पर। संवाद समूह ने तमाम नामों और नामांकनों पर विचार करने के बाद जिन दो ग़ज़लकारों को इस श्रेणी के लिए सम्मानित करने का निर्णय लिया है, वे हैं श्री सर्वत एम0 जमाल और श्री नीरज गोस्वामी।
श्री सर्वत जमाल जी ग़ज़ल के शास्त्रीय ज्ञाता हैं और ग़ज़ल को 'गजल' कहने के भी सख्त विरोधी हैं। उनकी ग़ज़लें दिल से निकलती हैं और शायद यही कारण है कि वे कम लिखते हैं और जो भी लिखते हैं, वह सीधे लोगों के दिलों से जुड़ जाता है। उनकी ग़ज़लों में सिर्फ महबूब की बातें ही नहीं हमारे आसपास के हालात भी बयाँ होते हैं। यही कारण है कि उनके शेर 'नाविक के तीर' की तरह प्रभावी होते हैं। जमाल जी का मानना है कि ग़ज़ल खुदा की इबादत है और उसीकी मेहरबानी से ही ग़ज़ल कहने की सलाहियत नसीब होती है। सर्वत जमाल की इस सर्जनात्मक प्रतिभा को सलाम करते हुए संवाद समूह 'ग़ज़ल' श्रेणी के 'संवाद सम्मान' से उन्हें विभूषित करता है और उन्हें सम्मान राशि व प्रशस्ति पत्र सादर अर्पित करता है।
ग़ज़ल श्रेणी के नामित सम्मान के लिए श्री नीरज गोस्वामी जी का चयन किया गया है। नीरज जी जितने अच्छे शायर हैं, उतने अच्छे इंसान भी हैं। वे सिर्फ अपने लिखे को ही पढ़वाने में यकीन नहीं रखते, दूसरे शायरों को भी ब्लॉगर्स के सामने लाते हैं। इसके अलावा नीरज जी एक आदर्श ब्लॉगर भी हैं। अन्य ब्लॉगर्स को पढ़ने और उनको प्रोत्साहति करने में भी वे कभी पीछे नहीं रहते। ऐसी खूबियाँ उन्हें ग़ज़लकारों की भीड़ में सबसे जुदा करती हैं। यही कारण है कि नीरज जी को ग़ज़ल-नामित सम्मान के लिए चयन किया गया है। उनहें ई-सम्मान पत्र अर्पित करते हुए संवाद समूह गर्व की अनुभूति करता है।
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नोट- 'संवाद सम्मान' सम्बंधी प्रक्रिया एवं अन्य सूचना के लिए कृपया यहाँ चटका लगाएं।
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विजेताओं को बधाई!
हटाएंकोई हमें भी पुरस्कार देता तो...!!
हटाएंविजेताओं को हार्दिक बधाई!
Sabhi Vijetaon KO meri Taraf Se Badhai.....
हटाएंदोनों रचनाकर्मी अद्भुत हैं...विलक्षण हैं...दोनों विजेताओं को हार्दिक बधाई!
हटाएंदोनों विजेताओं को हार्दिक बधाई
हटाएंregards
विजेताओं को हार्दिक बधाई..........
हटाएंविजेताओं को हार्दिक बधाई!
हटाएंमुबारकबाद भी देनी चाहिए हमें
हटाएंदो पंक्तियों में
गर लिखनी आती दो पंक्तियां
तो गजल सम्मान हम भी पाते।
खैर ...
बेपनाह बधाई
दोनों गजल के जहांपनाहों को।
वाह!! दोनों चयन उत्कृष्ट!!
हटाएंदोनों दिग्गजों को बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ.
आप को नव विक्रम सम्वत्सर-२०६७ और चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....
हटाएंवाह जी वाह । ज़माल साहब और नीरज भाई को बधाई।
हटाएंविजेताओं को बधाई !
हटाएंउत्कृष्ट चयन!
हटाएंहार्दिक बधाई.
सर्वत जी एवं नीरज जी को बहुत बहुत बधाई
हटाएंअपने मुंह मियां मिट्ठू बनने जैसा लग रहा है यहाँ कमेन्ट देना भी. नाचीज़ को आपने इस सम्मान के काबिल समझा, शुक्रिया. लेकिन एक नाम- नीरज भाई तो सच्चे हकदार हैं इस सम्मान के.
हटाएंमुझ नालायक को लायक कहने का शुक्रिया.
हटाएंनीरज
बधाई ...
हटाएंविजेताओं को बधाई!
हटाएंश्री सर्वत एम0 जमाल और श्री नीरज गोस्वामी जी को बहुत बहुत बधाई और आपकी पारखी नज़र के लिये भी धन्यवाद। ज़ाकिर जी कुछ दिन नेट से दूर रहूँगी कऋप्या मेरी अनुपस्थिती को अन्यथा न लें । समय मिलते ही उपस्थित होती हूँ। धन्यवाद्
हटाएंविजेताओं को बधाई।
हटाएंभाई रजनीशजी, आपकी सक्रियता काबिले तारीफ है।
सादर
दोनों दिग्गजों को बधाई ....
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