पता नहीं क्यों हमें अपने वर्तमान की तुलना में बीता हुआ कल ज्यादा अच्छा लगता है? चाहे बीते हुए दिन हों, चाहे उनकी यादें, रह-रह कर अपना सिर ...
संस्मरण की इस परम्परा को ब्लॉग जगत में भरपूर जगह मिलती रही है। और मुझे तो लगता है कि अगर कविता और समसामयिक लेखन को छोड़ दिया जाए, तो शायद तीसरे नम्बर पर संस्मरणात्मक रचनाएँ ही आती हैं, फिर भले ही वे गद्य रूप में हों अथवा पद्य के फार्म में। तो संस्मरण की इसी विधा को समर्पित है 'संवाद सम्मान' की यह श्रेणी, जिसका मुख्य सम्मान श्री युनूस खान को प्रदान किया जा रहा है।
श्री यूनुस खान मूल रूप से रेडियो जॉकी हैं और विविध भारती से जुड़े हुए हैं। वे अपने परिचय में कहते हैं, 'हम तो आवाज़ हैं, दीवारों से छन जाते हैं।' उनकी इसी उद्घोषणा का प्रमाण है उनका ब्लॉग 'रेडियोवाणी'। श्री खान को जितना लगाव अपनी आवाज़ से है, उतना ही वे संगीत से भी प्यारक करते हैं। संगीत से जुड़ी हुई अपनी बेशुमार यादों को वे बहुत ही खूबसूरत लहजे में 'रेडियोवाणी' में प्रस्तुत करते रहे हैं। उनकी प्रस्तुत का यह लहजा इतना दिलकश होता है कि पाठक मंत्रमुग्ध सा हो जाता है। संगीत और उससे जुड़ी यादों को लेकर श्री खान ने जो सामग्री अन्तर्जाल पर उपलब्ध कराई है, संवाद समूह उसकी तहेदिल से प्रशंसा करता है और 'संस्मरण' श्रेणी का सम्मान उन्हें आदरपूर्वक भेंट करता है।
संस्मरण श्रेणी के नामित सम्मान के लिए सुश्री शिखा वार्ष्णेय जी का चयन किया गया है। शिखा जी यूँ तो साहित्य की अनेक विधाओं में अपनी पकड़ रखती हैं, लेकिन संस्मरण शैली में उनकी पकड़ काबिले तारीफ है। उनके ब्लॉग जगत में किये गये योगदान और नामिनेशन में उनके पक्ष में हुई वोटिंग के आधार पर संवाद समूह सुश्री शिखा वार्ष्णेय जी को संस्मरण श्रेणी के नामित सम्मान से विभूषित करते हुए प्रसन्नता की अनुभूति कर रहा है।
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नोट- 'संवाद सम्मान' सम्बंधी प्रक्रिया एवं अन्य सूचना के लिए कृपया यहाँ चटका लगाएं।
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युनूस भाई और शिखा जी को बधाई। इस उम्मीद के साथ कि वे किसी दिन हमारे संस्मरण भी लिखेंगे। पर तारिक जी इनके चित्र और प्रमाण पत्र आपने इस पोस्ट में नहीं लगाए, कुछ विशेष कारण है। बाकी आपके द्वारा किए गए चयन तो निर्विवाद रूप से की गई मेहनत का प्रतिफल हैं। जुटे रहें।
हटाएंअविनाश जी, प्रमाण पत्र लगाए गये हैं, शायद आपके सेट/नेटवर्क में कोई समस्या है, इसलिए ऐसा लगा रहा है।
हटाएंदोनों चयनित ब्लोगर्स को ढेरों बधाइयाँ..यूनुस जी का वाकई जवाब नहीं और शिखा जी की लेखनी के हम कायल हैं...
हटाएंनीरज
यूनुस भाई (जादु के पापा ) और शिखा जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
हटाएंयूनुस जी और शिखा जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
हटाएंregards
यूनुस जी और शिखा जी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ!
हटाएंयुनूस भाई और शिखा जी को बधाई।
हटाएंआप सभी को रामनवमी की शुभकामनाएं।
यूनुस जी और शिखा जी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ!
हटाएंशिखा जी को मैंने पढ़ा है । बहुत अच्छा लिखती हैं। युनुस को जानना है। दोनों को हार्दिक बधाई।
हटाएंपता नहीं क्यों हमें अपने वर्तमान की तुलना में बीता हुआ कल ज्यादा अच्छा लगता है? .....
हटाएंआज मैंने भी नानी-दादी की पहेलियों को ययद किया............
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विलुप्त होती... नानी-दादी की बुझौअल, बुझौलिया, पहेलियाँ....बूझो तो जाने....
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http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_23.html
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....
युनुस खान जी और शिखा को हार्दिक बधाई......
हटाएंयुनुस जी को बधाई.. और आप सभी का बहुत शुक्रिया..
हटाएंयूनुस जी और शिखा जी को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ!
हटाएंयूनुस जी और शिखा जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
हटाएंयुनुस जी को बहुत बहुत बधाई
हटाएंशिखा तुम्हे भी बहुत बहुत बधाई..पर हमें तो ट्रीट भी चाहिए...मुंबई में ...ऐसे नहीं छोड़ने वाले हम
दोनों साथियों को बधाई और शुभकामनाएँ!
हटाएंबी एस पाबला
युनुस जी और शिखा जी को बहुत बहुत बधाई !!
हटाएंचयनित ब्लोगर्स को ढेरों बधाइयाँ...
हटाएंदोनों ही हिंदी ब्लोग जगत की धरोहर हैं ..दोनों को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं
हटाएंअजय कुमार झा
विजेताओं को बधाई!
हटाएंयूनुस और शिखा जी को बधाई।
हटाएंशिखा जी को तो ज्यादा नहीं पढ़ा पर यूनुस जी को शुरु से पढ़ता आ रहा हूँ। अनसुने संगीत और पुराने कलाकारों के बारे में अपने खूबसूरत लहज़े में ब्लॉग के जरिए वो बताते रहे हैं।
विजेताओं को बधाई !
हटाएंयूनुस जी का वाकई जवाब नहीं...शिखा जी को मैंने पढ़ा है,बहुत अच्छा लिखती हैं।यूनुस और शिखा जी को बधाई।
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