जी हाँ, देर आयद दुरूस्त आयद के सिद्धांत पर चलते हुए संवाद सम्मान 2009 के अन्तर्गत पहली श्रेणी 'नवोदित ब्लॉगर' की घोषणा करते हुए ह...
जी हाँ, देर आयद दुरूस्त आयद के सिद्धांत पर चलते हुए संवाद सम्मान 2009 के अन्तर्गत पहली श्रेणी 'नवोदित ब्लॉगर' की घोषणा करते हुए हमें प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।
लेकिन रूकिए, नाम बताने के पहले एक-दो जरूरी बातें।
नवोदित ब्लॉगर कौन है? क्या वह, जो पिछले एक दो माह से ब्लॉग जगत में सक्रिय है? अथवा वह, जो एक-दो वर्षों से सक्रिय है? यह हमारे लिए दुविधा का प्रश्न रहा। इसीलिए इस श्रेणी के अन्तर्गत सिर्फ उन्हीं नामों पर विचार किया गया, जो नामांकन के द्वारा प्राप्त हुए थे।
तो सबसे पहले उन नामों का खुलासा, जो दोनों प्रक्रियाओं के दौरान प्राप्त हुए थे। वे नाम हैं- सर्वश्री/सुश्री आदर्श राठौर, नवीन प्रकाश, नीर, रंजू राठौर, प्रवीण त्रिवेदी, मिथिलेश दुबे, मोहम्मद कासिम, महफूज अली, खुशदीप सहगल, चंदन कुमार झा, सलीम खान, रमेश उपाध्याय, गिरिजेश राव, अदा, वाणी शर्मा, सुशीला पुरी।
इन सारे नामों पर गौर करने और ब्लॉगर से जुड़े विभिन्न पक्षों पर विचार करने के बार जो दो नाम सामने आए, वे थे सलीम खान और खुशदीप सहगल। ये दोनों ही लोग पिछले काफी समय से लगातार लिखते रहे हैं और चर्चा में भी रहे हैं। विशेषकर सलीम खान एक ऐसा नाम है, जिसके नाम का उपयोग करके काफी लोगों ने टी0आर0पी0 भी बटोरी है। लेकिन सलीम खान की वे समस्त बातें नकारात्मक प्रभाव वाली ही थीं। इसलिए जब उन्होंने हृदय परिवर्तन वाली घटना के बाद कन्ट्रोवर्सी वाले लेखन से तौबा की और विज्ञान लेखन की ओर अपना रूख किया, तो लोगों ने काफी सराहा। यह एक तरह से सलीम खान का ब्लॉग जगत में नया जन्म था। अपने इस नये रूप में सलीम खान न सिर्फ सार्थक लेखन कर रहे हैं वरन अपने वादे पर कायम हैं। इसलिए मेरी समझ से 'नवोदित ब्लॉगर' सम्मान के वे सबसे योग्य उत्तराधिकारी हैं।
दूसरे स्थान अर्थात 'नवोदित ब्लॉग-नामित' सम्मान के लिए खुशदीप सहगल का चुनाव किया गया है। हालाँकि ब्लॉग जगत में आए हुए उन्हें बहुत अधिक समय नहीं हुआ है, फिरभी वे अपनी सधी हुई लेखनी और कुशल ब्लॉग प्रबंधन के कारण सदैव चर्चा में रहते हैं और अपनी लगभग हर पोस्ट को हिट करवा ले जाते हैं।
इन दोनों महानुभावों से ब्लॉग जगत को कॉफी उम्मीदें हैं। संवाद परिवार इन्हें 'नवोदित ब्लॉगर' सम्मान से नवाजते हुए गर्व का अनुभव कर रहा है।
अर्र-रे, ये क्या? आपके माथे पर पसीना? आपका नाम इसमें शामिल नहीं था इसलिए?
चिंता नहीं मेरे भाई, अभी 19 श्रेणियाँ घोषित होना बाकी हैं.....
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नोट- 'संवाद सम्मान' सम्मान सम्बंधी प्रक्रिया एवं अन्य सूचना के लिए कृपया यहाँ चटका लगाएं।
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ah ha...bahut bahut mubarak ho khushdeep ji..
जवाब देंहटाएंsaleem ji ko bhi badhai
सलीम खान जी और खुशदीप सहगल जी को 'नवोदित ब्लॉगर' सम्मान से नवाजे जाने पर बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंHAARDIK BADHAIYAAN>
जवाब देंहटाएंसलीम खान जी और खुशदीप सहगल जी को हार्दिक बधाईयां.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सलीम खान जी और खुशदीप सहगल जी को 'नवोदित ब्लॉगर' सम्मान पर बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंदोनों मित्र ब्लोग्गर्स को हमारी , और पूरे हिंदी ब्लोग जगत की तरफ़ से बधाई
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
संवाद सम्मान सम्मानित द्वय को कोटिशः बधाई!
जवाब देंहटाएंसलीम खान जी और खुशदीप सहगल जी को बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंसलीम खान जी और खुशदीप सहगल जी को बहुत बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंखुशदीप सहगल जी और सलीम खान को हार्दिक बधाईयां
जवाब देंहटाएंसंवाद सम्मान से सम्मानित नवोदित ब्लोग्गर्स द्वय सलीम खान और खुशदीप सहगल को कोटिशः बधाई/शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंअच्छा है..
जवाब देंहटाएंमुझे खुशदीप जी के लिए हृदय से बहुत ख़ुशी हुई उन्हें यह सम्मान दिया गया है...
सच पुछा जाए तो ....वो सबसे ज्यादा इस सम्मान के पात्र हैं...उनको बहुत-बहुत बधाई..
परन्तु 'सलीम खान' को किस आधार पर मिला है ...मैं समझ नहीं पायी हूँ...मुझे उनसे कोई दुश्मनी नहीं है...लेकिन जितना मैंने उनको पढ़ा है ...नहीं लगता कि यह 'हृदय परिवर्तन' पुरस्कार था....
उनको 'नया जन्म' का पुरस्कार आपने दिया है ....यह बात समझ नहीं आई..इसके पहले उन्होंने जितनी भी 'वाद-विवाद' किया क्या अब 'संवाद' में परिवर्तित हो गया ??
आपका पुरस्कार आप जिसे दें ..लेकिन मेरी नज़र यह पुरस्कार संदिग्ध हो गया है...
और मैं इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती हूँ..यह तय है....
बधाई.
जवाब देंहटाएंAda ki baat se ittefaq ham bhi rakhte hai....Puruskaar paane wale dono logon ko hardik abhinanadan.....ab jab diya ja raha hai to inkaar karna bhi accha nahi lagata....blog jagat mein bahut naye logo hai...jintak aaplogon ki paarkhi nazre pahuchti nahi....
जवाब देंहटाएंmae adaa ki baat kaa samrthan kartee hun word by word
जवाब देंहटाएंखुशदीप भईया को बहुत-बहुत बधाई । लेकिन मैं सलीम खान को ये पुरस्कार देने का घोर विरोध करता हूँ , कृपया आप ये बतायें कि आप ने उन्हे विजेता कैसे घोसित किया , मुझे इसमे जरुर कुछ गड़बड़ लग रहा है , क्या मात्र हृदय परिवर्तन से किसी को सर्वश्रेष्ठता का पुरस्कार मिल जाता है । वे जो कुछ लिखते रहें वह बस धार्मिक सौर्दय मो बिगाड़ने के लिए था , तो उन्हे ये पुरस्कार क्यों , और जब उनका हृदय परिवर्तन हुआ तो उन्होने ऐसा कौन सा तीर मार लिया की उन्हे पुरस्कार दिया गया ।
जवाब देंहटाएंअफ़सोस ...
जवाब देंहटाएंयही वह ब्लॉग जगत है जो सरकार के पद्म-पुरस्कार बांटने पर बहुत नाक
भौं सिकोड़ता है ... और आज उससे भी बड़ा अनर्थ खुद कर रहा है कि जिसका कोई
सार्थक योगदान नहीं है ब्लोगिंग में , उसे ब्लोगिंग की ऐसी पहचान से नवाजा जा रहा है कि
जैसे उसने भागीरथ प्रयास किया हो , भाषा तो देखिये --- ''जी हाँ, देर आयद दुरूस्त आयद के
सिद्धांत पर चलते हुए संवाद सम्मान 2009 के अन्तर्गत पहली श्रेणी 'नवोदित ब्लॉगर' की
घोषणा करते हुए हमें प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। '' ---- तिकड़मबाजी की यह सड़ांध है , अविवेक
का परिचय है , .. आप लोग रूढ़िवादी और लेखकीय चोरी में निपुण व्यक्ति को ब्लॉग - जगत की
पहचान बना रहे हैं .. सलीम खान को 'शाहरुख खान ' बनाने पर तुले हैं आप लोग , आपको धिक्कार है !!!
... खैर सम्मान आपका है , जैसे चाहे बांटिये .. अपनी खेती है चारिए खाइए .. कहने को महान का
तमगा भी लगा लीजिये और महान शब्द को गाली बनाने में मत चूकिए .. आप धन्य हैं ! आपको धिक्कार है !!!
.
सबसे बड़ा अफ़सोस तो उन लोगों पर हो रहा है जो '' सो काल्ड सीरियस राइटर '' हैं
और '' धृतरास्त्र '' की तरह टीप कर चले गए हैं ... कितनी दूकान चलानी है आप
सबको ... अंधे बनने का कितना शौक है आप सबको ! आप धन्य है ! आपको धिक्कार है !!!
जो व्यक्ति a p j अब्दुल कलाम के 'slide show ' को अपना कह कर छाप देता है टिप्पणियों की
मजा लेता है ठीक वैसे ही जैसे अज्ञानी ज्ञान पर हँसता है ... और फिर चुपके से छोटा सा '' inspired by kalaam ''
लिख देता है ... आप लोग बज्र अंधे हो जाते हैं .. इमेज बनाने के राजनीतिक शातिरपने के सहयोगी है आप लोग
... इसलिए आप धन्य हैं ! आपको धिक्कार हैं !!!
.
अब अंतिम बात खुशदीप जी से , क्या आप इस पुरस्कार को सलीम खान के साथ स्वीकारने जा रहे हैं ? यदि
स्वाभिमान आपको इसकी इजाजत देता है तो मेरी तरफ से भी बधाई ले लीजिये !
.
एक निष्कर्ष तो और भी मेरे हाथ लग आया है ..... अब ब्लोगिंग में सफलता - पूर्वक image-making campaign
की जा सकती है .. !!!
मेरे विचार में हमें निर्णायकों के निर्णय से सहमति अवश्य रखनी चाहिए। मैं किसी को पुरस्कार देने के विरोध में नहीं हूं, अगर विरोध करूंगा तो स्वयं को पुरस्कार देने का ही। पुरस्कार प्राप्त करने से प्राप्तकर्ता की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, इसे सब मानते ही होंगे। खुशदीप सहगल जी को पुरस्कार मिलने से सबके मन में खुशी के दीप जल उठे हैं। वो खुशी यानी स्वर्ग तो हम सबका है ही, सलीम जी को जो जन्नत नवाजी गई है, वो अच्छा ही है। विरोध से नहीं समर्थन से ही सबका दिल जीता जाना चाहिए। मैं आयोजकों की इस नीति का तहे दिल, तहे मानस से घनघोर सहमत हूं।
जवाब देंहटाएंबधाई सबको। पाने वालों और देने वालों को भी। वैसे विरोध करने वाले भी रहने चाहिए तभी सर्वोत्तम का माहौल तैयार होता है।
एक बात और -
जवाब देंहटाएंहोना तो वही है
जो होना है
होकर वही रहेगा
हम कहें या चाहें
कि विवाद न हो
सिर्फ संवाद ही हो
पर किस पर
किसका बस है
सब होता बरबस है।
baki lafdo ka apan ko pata nai lekin dono ko badhai
जवाब देंहटाएंअमरेन्द्र भाई से सहमत हूँ आपकी इच्छा है जिसे चाहें उसे दीजिए , लेकिन जब ऐसा ही करना था तो सार्वजनिक करने की क्या जरुरत थी की ब्लोगर खुद चुनेंगे , आप ही दे देते चुपचाप से ।
जवाब देंहटाएंअच्छे आइडिया की बुरी शुरुआत..
जवाब देंहटाएंआप अच्छे से जानते होगें की ये विदास्पद होगा... फिर भी आपने सबसे पहले ये घोषणा कर दी.. अच्छा है अब हम सभी बाकी पुरुस्कारों पर बारीकी से नजर रखेगें...
इस मंच से ये उम्मीद नहीं थी...
दोनों सज्जनो को बधाई...
@प्रिय अमरेन्द्र ,
जवाब देंहटाएंबच्चों के खेल में बड़ों को अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए .....
उन्हें खेलने दीजिये .....आप अपना कम कीजिये ,,बात बात में ये लक्ष्मनी शर संधान ठीक नहीं है .
चुप बैठिये ...तनी .....
सच तो ये है मुझे टिप्पणी करने का कोई हक़ नहीं बनता क्योंकि इन दोनों नवोदित ब्लागरों ( जैसा कि कहा गया है ) को मैंने ज्यादा पढ़ा नहीं , किन्तु ...जब पुरस्कार समिति नें इन दोनों स्नेहीजनों को इस हेतु चुना है तो निसंदेह ,शिष्टाचार और सौजन्यता के मूल्यों से अभ्यस्त मेरी पहली टिप्पणी है कि " आप दोनों को बहुत बहुत मुबारकबाद , ईश्वर आपको इससे भी बेहतर उपलब्धियां प्राप्त करने के मार्ग दिखाये "
जवाब देंहटाएंइसके बाद यह कि पुरस्कारों के नाम पर हमेशा की तरह कुछ सवाल भी आये हैं सो उनपर रिएक्शन मुझे भी सूझ रहा है , हो सकता है संस्मरणात्मक इतिहास सा लगे ! पर पढ़िए तो सही , बाद में धिक्कारियेगा ! सच तो ये है कि सलीम खान साहब के शुरुवाती दिनों का लेखन मुझे सख्त नापसंद रहा है और गलती से एक बार मैंने उन्हें पढ़ लिया तो उनका 'वैचारिक नाभिक' देख कर दोबारा पढने की हिम्मत नहीं हुई पर मज़े की बात ये कि, सलीम खान साहब को कई ब्लागरों नें मुझे लगभग जबरिया पढवाया :) पूछिये कैसे ? अरे भाई मैंने सलीम खान के ब्लाग पर जाना छोड़ा किन्तु दूसरे भाइयों नें उसकी पूंछ पकड़ ली , फिर मैं जहाँ भी पहुंचू बस सलीम खान ही सलीम खान ! तब ऐसा लगता कि , लोग सलीम खान के निगेटिविटी के छोर पकड़ कर लोकप्रियता अर्जित ...कर रहे हों ...नाम नहीं लूँगा पर मेरे प्रदेश के एक ब्लागर का टिप्पणी स्कोर कार्ड इसकी स्पष्ट चुगली करता है ! फिर अचानक एक दिन महफूज अली की लखनऊ में मारधाड़ वाली पोस्ट पढ़ी काफी दुःख हुआ दो ब्लागरों को विचारों को पीछे छोड़, दमखम / दैहिक सौष्ठव का प्रदर्शन करते हुए देख / पढ़कर ...किन्तु सवाल यह जागा कि, दो ब्लागरों की इस व्यक्तिगत मारधाड़ का भूमंडलीकरण करना आवश्यक था क्या ? निश्चित ही महफूज अली साहब के इस कारनामे पर मुझे ख़ुशी नहीं हुई किन्तु उनके अपने निहित मंतव्य रहे होंगे और अपने ब्लाग पर कुछ भी लिख सकने का अधिकार भी सो मैं टिप्पणी करने से कन्नी काट गया ! फिर इसके बाद ज़ाकिर खान साहब नें सलीम खान के ह्रदय परिवर्तन वाली बात कही तो मैंने सोचा कि चलिए इंतजार करते हैं ...भारतीय परिद्रश्य में 'ह्रदय परिवर्तन' एक दुर्लभ घटना / अनमोल घटना के रूप में स्वीकृति प्राप्त है अब बाल्मीकि महाराज की जगस्वीकृति को ही लीजिये ,कोई भी उनके अतीत पर कान नहीं देता ! कहने का मतलब यह नहीं कि सलीम खान में बाल्मीकि जितनी प्रतिभा है याकि वह मेरे लिए धर्मबंधु* है, *अमां लाहौल-बिला-कुव्वत ,ये मैं क्या लिख गया :) मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि तोड़क लेखन से जोडक लेखन में कायांतरण एक बड़ी बात है इसे मजाक का विषय ना बनाया जाये ! वैचारिक प्रतिबद्धताओं से परिवर्तन ...वह भी एक विपरीत दिशा में ,नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ! क्या कोई छोटी बात है ? स्वागत कीजिये किसी के बदलने का ! सकारात्मकता का ! सलीम खान आपको पसंद नहीं मुझे भी नहीं ! पर उसका वैचारिक स्विचऑफ जबरदस्त है बाल्मीकि सा अंगुलिमाल सा ...इसकी कद्र की जाना चाहिए ! आप नहीं कर सकते तो कृपया शांत रहिये , व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों को सार्वजानिक करने से कौन कहेगा कि आप सृजनात्मक सोचते हैं ! अरे भाई बना नहीं सकते तो बिगाड़ क्यों ? तनि धीरज धरो मित्र !
मेरे लिए खुशदीप भाई निर्विवाद ब्लागर हैं ( इसलिए नहीं कि उन्हें पढ़ा नहीं बल्कि इसलिए कि कभी विवादों में उनका नाम सुना नहीं ) और वे समीर लाल जी को अपना गुरु भी मानते हैं तो जब समीर लाल जी नें बधाई दे ही दी है तो उम्मीद है कि वे भी इस सम्मान का कद बढाने की कृपा करते हुए उसे स्वीकार कर लेंगे !
हाँ अब बात जरा ज़ाकिर भाई पर भी जरुरी है ...ये तो समझ में आया कि पुरस्कार देने और पुरस्कार के लिए महानुभावों के नाम पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार आपका है किन्तु बन्धु ...पुरस्कार की घोषणा से पहले नामित ब्लागरों की सूची घोषित की जाती तो बेहतर होता ! ज्यादातर पुरस्कारों में कैटेगरी वाइज नामांकनों की पूर्व घोषणा की परंपरा आपने भी देखी सुनी होगी किन्तु पालन नहीं किया संभव है कुछ ब्लागर सम्मान के इस भाव से ऊपर उठा गए हों और उन्हें अपने नाम वापिस लेना हो तो बाद के विवाद से बचा जा सकता है !
आज महाशिवरात्रि है और मेरे एक परमप्रिय विद्यार्थी सन्यासी हो कर एक बड़े शिव आश्रम के मुख्य कर्ताधर्ता बने हुए हैं जिनकी वजह से मैं स्वयं इस त्योहार पर अनुरक्त हूँ और आप सब को ह्रदय से शुभकामनाये ज्ञापित करते हुए अनुरोध करता हूँ कि इस शुभ दिन प्रेम और भाईचारे का उदघोष करने की कृपा करें ! कम से कम आज का दिन व्यक्तिगत वैमनष्य को उदघाटित करने का नहीं है बड़प्पन के साथ आशीष दें ! सम्मानों का सम्मान बढायें !
मेरी कोई बात बुरी लगी हो तो सबसे पहले मेरा निशर्त खेद प्रकाश स्वीकार कीजियेगा ! पुनः महाशिवरात्रि पर अनंत ...असीम..अशेष शुभकामनायें !
खुशदीप जी और सलीमखान जी को बहुत बहुत बधाई। रजनीश जी आप एक सराहनीय कार्य कर रहे हैं । खास कर सलीम खान जी को मुख्यधारा मे लाने के लिये भी आपका प्रयास सराहनीय है बधाई
जवाब देंहटाएंwelcome to my blog
जवाब देंहटाएंsim786.blogspot.com
अली जी से लगभग सहमत हूँ। आगे कहना आज के दिन ठीक नहीं होगा।
जवाब देंहटाएं'हृदय परिवर्तन' नहीं हुआ है। प्रमाण ब्लॉग प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। ज़िहादी मानसिकता से मेरा विरोध रहा है और रहेगा लेकिन यहाँ यह प्रलाप अप्रासंगिक ही है - जाने क्यों कर रहा हूँ ?...
पुरस्कार वगैरह विवादित न हों तो कैसे पुरस्कार :)
आयोजकों की अपनी प्रक्रिया थी, उसका पालन करते जिन्हें योग्य समझा दिया, इतना टंटा किस लिए भैया बहिनी?
..हाँ श्रम और लगन की प्रशंसा होनी चाहिए। एक सही कदम है जिसके लिए आयोजक प्रशंसा के पात्र हैं।
.. चलते चलते पाँव कीचड़ में भी पड़ जाते हैं, सुलझा आदमी धो पोंछ कर फिर चल देता है। इसके लिए न चलना बन्द होता है और न कोई पैर काट कर फेंकता है। हाँ, दुबारा पैर ग़लत न पड़ें, इसके लिए प्रयास भी करता है।
आप दोनों को Nice बधाई.
जवाब देंहटाएंविजेताओ को बधाई
जवाब देंहटाएंएक अच्छा प्रयास है ये.
जीत न पाने का गम नहीं है आप लोगों ने नामांकित किया वही बहुत है
फ़िराक साहब की पंक्ति '' खिसियानी हंसी हंसना इक बात बनाना है '' , याद आ रही है ..
जवाब देंहटाएंजिस ह्रदय परिवर्तन का समर्थन आप लोग कर रहे हैं मैं उसके विरोध में नहीं हूँ .. पर
ज़रा आप लोग ही सोचिये कि उस ह्रदय परिवर्तन को इतनी जल्दी सम्मान से वैध
करार कराने की जल्दबाजी क्यों है आप लोगों में .. इतना सशक्त ह्रदय परिवर्तन
होगा तो दुनिया अपने आप ही उसे ''अंगुलिमाल - प्रकरण'' सा याद कर लेगी ...
पर ,,,,,
आखिर इतनी जल्दी क्या थी , भरोसा नहीं था क्या
कि समय के साथ यह ह्रदय परिवर्तन स्थायी रहेगा ! इसलिए '' चट मंगनी पट बियाह ''
कर दिया ! प्रथम पुरस्कार है तो जरा और भी सम्हल कर दिया जाता ! शायद बेहतर
ही होता !
.
आपकी अपनी मर्जी है पर उसे सामिजिक स्वीकृति दिलाने का सियासी खेल
न खेलें तो बेहतर ! आप तो ब्लोगिंग के ध्वजावाहक हैं न ! और यह महान खेल !!!
.
@ अरविन्द मिश्र जी ,
निराशा हुई है आपसे ,,, क्या आप भी बच्चे हैं ? ,,, और इससे ज्यादा कुछ नहीं कहूँगा ...
.
@ गिरिजेश राव साहब ,
अरे आप भी ! आपसे ऐसी उम्मीद न थी !
आप को पढ़ते हुए बस यही सोच रहा हूँ जिसे जूलियस सीजर ने कहा था ---
'' एत तू ब्रूत , देन फाल सीजर ! ''
@अमरेन्द्र जी इसलिए ही बार बार विनम्र अनुरोध कर रहा हूँ जो बच्चे नहीं हैं तनिक तटस्थ रहें इस बाल गोपाल खेल से .इस दुनिया में वही सत्य नहीं होता जो हम इन दो छोटी छोटी आँखों से देख लेते हैं अभी बहुत कुछ सामने आना शेष है.अभी तो पूरा समर ही शेष है कहें ऊर्जा का अपव्यय कर रहे हैं निराश विराश होने की जरूरत नहीं है कोई रचनात्मक काम हाथ में लीजिये अधिक क्षुब्धता हो किसी प्रिय से मिल आईये
जवाब देंहटाएं@ अरविन्द जी ,
जवाब देंहटाएंबड़ा बैलेंस है आपमें ! शिवतांडव और शान्तिपाठ साथ - साथ पढ़ लेते हैं !
काश मुझमें भी यह कला होती ! पर मैं तो पर्याप्त अयोग्य हूँ !
सो जैसा हूँ उसी में खुश हूँ ! मुझे माफ़ करें ! आभार !
खुशदीप जी को बधाइयां !!!
जवाब देंहटाएंAaj chutti thi, fir bhi yahaan ki ranbheriyaan kheench hi laayeen.
जवाब देंहटाएंIs nirnay ka virodh karne walon se jo kuchh main kah sakta tha, use kaheen behtar dhang se Dr Arvins Mishra ji aur Ali Ji ne kah diya hai.
Ye satya hai ki kuchh logon ko Salim Khan ki mukhya dhara men wapsi nahi pach rahee hai (SBA pe salim ki post pe aane wali tippadiyan dekhn), kaaran ab ve use GAALI de kar apne BLOG KI TRP badhane ka mauka kho chuke hain.
Aur haan, Aap log aisi galat fahmi mat paalen ki main koi MAHAN KAAM kar raha hoon. Ye kaam hona tha, so ho gaya. Main bas ek madhyam hoon aur isme 'Lucknow Bloggers Association' ka poora sahyog hai.
Ek baat aur SAMWAAD SAMMANON ka nirdharan sirf mere dwara sampadit nahi huaa, isme LBA ke tamam sahyogiyon ka sahyog raha hai. Uske bina ye ho hi nahi sakta tha.
Ali ji, Mere man ki baat aapki lekhni se padhna sukhad anubhav hai. Aur haan NAMIT BLOGERS ki list post men di gayi hai, aage bhi dee jatee rahegi.
Agar Bura na lage to JAVED AKHTAR ka ek sher padhne ko ji chahta hai-
Koi apni hi nazar se to dekhega hamen,
Ek Qatre ko samandar nazar aaye kaise?
Ye baat mere baare men bhi laagu hoti hai.
Aap sabka yahaan padhaarne ka shukriya aur SHIVRATRI ki HAARDIK SHUBHKAAMNAAYEN.
इनाम पाने वालों और देने वालों दोनों को बधाई।
जवाब देंहटाएंजहां तक मुझे याद है कुछ दिन पहले सलीम खान सक्रिय थे तब ब्लॉग संकलक में हिन्दू-मुस्लिम झगड़ों की पोस्टें छाईं रहती थीं। खुशदीप के आने के बाद संयोग कुछ ऐसा हुआ उनकी पोस्टें ऊपर टॉप पर आईं! लेकिन ऐसा शायद खुशदीप की सक्रियता के चलते कम हुआ वरन सलीम की निस्क्रियता के चलते ज्यादा हुआ।
सलीम खान को इनाम देने न देने का निर्णय आयोजकों का अपना है। वे चाहे जिसको थमा दें। राजाओं, जागीरदारों से कौन कुछ पूछता था जिस पर उनका मन आया थमा दिया उसको कोई इनाम!
वैसे सलीम खान को इनाम देने से एक बार फ़िर ओबामा को दिया नोबेल पुरस्कार याद आया। उनको भी इनाम इसलिये दिया कि वे आगे शांति थमा के रहेंगे जमाने को। जब ओबामा को ’ इन एन्टीसिपेशन ’ सकता है तो सलीम खान को क्यों नहीं।
इनाम-इकराम अपने आप में एक लफ़ड़े वाली चीज हैं। विवाद होंगे ही। लेकिन जिन लोगों के स्वर असमहमति के हैं (तेवर स्वाभाविक है कि तीखे हैं) उनकी बात तर्क के धरातल पर कहीं से गलत नहीं है।
ज्यों-ज्यों मेरी उम्र बढ़ रही है, मै बड़े लोगों से सीख रहा हूँ व्यावहारिकता. व्यावहारिकता क्या है? व्यावहारिकता माने कौवे के सामने काँव-काँव करना,बिल्ली के सामने म्याऊं-म्याऊं करना,सांप के सामने फुसफुसाना,..,..,..आदि-आदि.
जवाब देंहटाएंयहाँ ब्लोगिंग में कौन बच्चा है और कौन बूढा गया है ,समझ नहीं आता मुझे. जबतक यह माध्यम आभासी था..लोग थोड़ा सम्यक-सटीक बोलते थे अब आभासी नहीं रहा तो पक्षधरता बढ़ने लगी है.
जो गालियाँ आप बोल नहीं सकते उन गालियों का सहज आदान-प्रदान जिन महोदय के यहाँ होता था, वें नवोदित हैं. वाह.जिनकी मारा-मारी भी लोगों ने देखी-सुनी, वें नवोदित हैं. जिन्होनें ब्लोगिंग में भी जिहाद छेड़ दिया, वे नवोदित हैं. जिनका असली परिचय रहस्य था, वे नवोदित हैं. जिनका विज्ञान-लेखन का श्रीगणेश एक अकादमिक चोरी से हुआ वे नवोदित हैं. बहुत अच्छे. आप नवोदित ही हो सकते हैं. अच्छाइयों के बाद बुराइयां ही घेरने लगती हैं तो आप नव-उदित ही हो सकते हैं. उनमें भी आप श्रेष्ठ हैं..ऐसा पुरस्कार ध्वनित कर रहा है. श्रीमान अवधिया जी कहाँ हैं..उन्हें सबकुछ विस्मृत हो गया..?
कुछ लोग नम्र विरोध जताते हैं इस करतूत पर तो वरिष्ठ लोग कहते हैं ये बच्चों का खेल है. वाह. चौपड़, बच्चों का खेल ही रहा होगा जो धृतराष्ट के समक्ष खेला गया था. सत्य की साड़ी खोल दी गयी थी..खैर..!
रहो तटस्थ..वरिष्ठों..! समय सबको उत्तर देगा..! तथाकथित हिंदी ब्लागिंग के ठेकेदारों ( खासकर वे जो अक्सर हिंदी ब्लागिंग को अपरिपक्व ही मानते हैं जाने कितने सालों से लगातार और जाने किस महान भाषा के ब्लागिरी के बरक्श)--क्या ये जरूरी नहीं कि यदि हिंदी ब्लागिरी का यह पहला वृहद पुरस्कार आयोजन था तो कम से कम इसकी शुचिता के लिए अपनी आवाज उठाते. वे वरिष्ठ ब्लागरान बस अपने ब्लॉग पर रोते हैं हिंदी ब्लागिरी की दशा-दिशा पर लेकिन जहाँ उनकी न्यायप्रियता की आवश्यकता है, जहाँ हस्तक्षेप की दरकार हैं वहां से नदारद हैं और जो आये भी उन्हें ये बच्चों का खेल लगता है.
आपको अपूर्व,आर्जव,डिम्पल,कार्तिकेय,अमरेन्द्र,हिमांशु,नवीन प्रकाश,सागर आदि कई उम्दा लोग नवोदित-श्रेष्ठ नहीं लगते. बहुत अच्छे.
अमरेन्द्र जी! आप भी कम नहीं हो..अकेले आपको इतनी चिंता क्यूँ लगी रहती है..? आप सब कुछ ठीक कर लेंगे क्या..? हुह..!
बधाई हो ...! अभी तो और श्रेणियाँ हैं..जाने क्या होगा..?
मुझे मैच्योर बनने की कोशिश करनी चाहिए.
@मुझे मैच्योर बनने की कोशिश करनी चाहिए.
जवाब देंहटाएं@श्रीश ये शायद ठीक है .
मुझे इन पुरस्कारों से कोई मतलब नहीं है और न ही मैं किसी रूप में इनसे जुड़ा हूँ .
और इतना बेवकूफ भी नहीं हूँ की अप सभी की मनोदशा .अन्तर्दशा ,अन्तराभिव्यक्ति को न समझ सकूं .
मैं न तो किसी को डिफेंड कर रहा हूँ और न ही किसी को कुएं से निकलाने आऊंगा
समाज सेवा की भी लीडरी प्रवृत्ति नहीं है मेरी ...
मगर कुछ अवश्य कहना चाहता हूँ -
मेरा मोबाईल नंबर यह है -अप मिस काल कर सकते हैं ..मैं डिफेंडिंग मोड़े में हूँ .
मगर यहाँ कब तक और कितना करून ?
मैं बात कर लूँगा .
09415300706
जवाब देंहटाएं@अनूप जी ,
जवाब देंहटाएंक्षमा चाहती हूँ,
आपकी इस बात से सर्वथा असहमत हूँ....खुशदीप जी की पोस्ट किसी की निष्क्रियता की वजह से नहीं बल्कि अपनी सार्थक की वजह से टॉप पर आती रही हैं....ऐसा कह कर आप एक बहुत ही प्रतिभावान ब्लॉगर की मेहनत को कम आंक रहे हैं....जब अच्छी चीज़ सामने हो तो कोई क्यूँ अपना कीमती वक्त और दिमाग बेकार की बात में जाया करेगा....वैसे भी सलीम जी पोस्ट ढाक के तीन पात ही होती थी...सबको मालूम होता था की वहाँ क्या मिलेगा....खुशदीप जी ही हर पोस्ट नयी उर्जा लिए हुए होती है...कभी-कभी पढ़ लिया कीजिये....पता चल जाएगा...हर विषय पर ठोस प्रमाणों से उनके लेख होते हैं...इसलिए ऐसी बात कह कर आप इसकी सार्थकता को संदिग्ध मत कीजिये...
आपसे तो हम कुछ और ही उम्मीद करते हैं...प्रोत्साहन, मार्गदर्शन इत्यादि...वही दीजिये ना !!!
खुशदीप के आने के बाद संयोग कुछ ऐसा हुआ उनकी पोस्टें ऊपर टॉप पर आईं! लेकिन ऐसा शायद खुशदीप की सक्रियता के चलते कम हुआ वरन सलीम की निस्क्रियता के चलते ज्यादा हुआ।
जवाब देंहटाएं@अनूप जी ,
क्षमा चाहती हूँ,
आपकी इस बात से सर्वथा असहमत हूँ....खुशदीप जी की पोस्ट किसी की निष्क्रियता की वजह से नहीं बल्कि अपनी सार्थक की वजह से टॉप पर आती रही हैं....ऐसा कह कर आप एक बहुत ही प्रतिभावान ब्लॉगर की मेहनत को कम आंक रहे हैं....जब अच्छी चीज़ सामने हो तो कोई क्यूँ अपना कीमती वक्त और दिमाग बेकार की बात में जाया करेगा....वैसे भी सलीम जी पोस्ट ढाक के तीन पात ही होती थी...सबको मालूम होता था की वहाँ क्या मिलेगा....खुशदीप जी ही हर पोस्ट नयी उर्जा लिए हुए होती है...कभी-कभी पढ़ लिया कीजिये....पता चल जाएगा...हर विषय पर ठोस प्रमाणों से उनके लेख होते हैं...इसलिए ऐसी बात कह कर आप इसकी सार्थकता को संदिग्ध मत कीजिये...
आपसे तो हम कुछ और ही उम्मीद करते हैं...प्रोत्साहन, मार्गदर्शन इत्यादि...वही दीजिये ना !!!
@ खुशदीप जी की पोस्ट किसी की निष्क्रियता की वजह से नहीं बल्कि अपनी सार्थकता की वजह से टॉप पर आती रही हैं..
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही। उनकी ऊर्जा सराबोर कर देती है।
निर्णायक महोदय, हमारा प्रोटेस्ट नोट करने की जहमत फ़रमायें:-
जवाब देंहटाएंसलीम खान भाई को दो पुरस्कार मिलने चाहियें थे। हमारे गांव के एक कवि जब कवि-सम्मेलन से लौटे तो उनके पास दो कप थे। छोटा कप कविता पाठ के लिये था, और दूसरा कप उन्हें इसी शर्त पर दिया गया था कि दुबारा कभी कविता पाठ नहीं करेंगे।
गिरिजेश राव जी, अदा जी, निथिलेश दूबे जैसे धुरंधरों(हमारी नजर में) को पछाडने वाले ’सलीम खान भाई’ को बधाई। खुशदीप जी को दूसरा अवार्ड देने पर आपको बधाई।
@अदाजी,
जवाब देंहटाएंशायद आप ही सही हों। अब जब मुकाबला नहीं हुआ तो कयास ही लगाये जा सकते हैं। मेरा कहने का मतलब यह इशारा करना था कि खुशदीप जब तक नहीं आये थे तब तक हिन्दू-मुसलमान वाली पोस्टें टाप पर रहती थीं।खुशदीप के आने के बाद सलीम ने लिखना शायद कम कर दिया और उनका विरोध करने वालों ने भी।
@ यह लिखना फ़िर से जरूरी लगा कि खुशदीप के ब्लॉगिंग में आने के बाद संकलकों में उनकी पोस्टें टाप पर रहती रहीं। इसका कारण उनका सामन्जस्य पूर्ण लेखन और अच्छा व्यवहार भी रहा। सलीम खान और खुशदीप की तुलना करना ही बेमानी है। दोनों लोग लेखन, मिजाज, प्रवृति में बहुत अलग-अलग हैं।
जवाब देंहटाएं@कभी-कभी नहीं खुशदीप की हर पोस्ट मैं पढ़ता हूं। और आपको कम से कम मेरे मार्गदर्शन की कोई आवश्यकता नहीं है। आप बहुत समर्थ, सक्षम हैं।
जवाब देंहटाएंविरोध करने वाले के अपने तर्क हैं और समर्थन करने वाले के अपने . हर पक्ष के तीन पहलू होते हैं वाद-विवाद-संवाद . जहां वाद हैं वहां विवाद है और जहां विवाद है वहीं संवाद भी. हर महत्वपूर्ण कार्यक्रम विरोध से शुरू होता है और सफलता के साथ आगे की राह पकड़ता है . वैसे भी कहा जाता है कि सौ प्रतिशत व्यक्तियों को संतुष्ट कर देना सफलता नहीं असफलता होती है . हिन्दी ब्लॉग जगत में यह महज एक शुरुआत है और इस शुरुआत का स्वागत होना चाहिए . उनकी कमीज मेरी कमीज से सफ़ेद क्यों ? ऐसा नहीं कहा जाना चाहिए !
जवाब देंहटाएंदोनों ही ब्लोगर को हार्दिक बधाई।" जो जीता वही सिकंदर"
जवाब देंहटाएंउफ़! यहाँ तो बहुत घमासान मचा हुआ है.... बाहर गया था..... आज ही आया हूँ....
जवाब देंहटाएंऔर सबसे पहले तो खुशदीप भैया को बहुत बहुत बधाई..... सलीम को भी .....
सबसे पहले तो मैं यहाँ यह कहना चाहूँगा..... कि सलीम के नाम पे सहमत तो मैं भी नहीं हूँ.... हाँ! यह है कि मैं सलीम की नॉलेज की बहुत रेस्पेक्ट करता हूँ.... वो ऐसा बन्दा है जो अपनी नॉलेज को अगर अच्छे से यूज़ करे तो बहुत ऊपर जायेगा.... हाँ उसको परुस्कार मिला तो इसमें विरोध दर्ज करने जैसी कोई बात नहीं है.... जहाँ तक मुझे मालूम है.... पूरी प्रक्रिया वोटिंग से हुई है... और ब्लोग्गेर्ज़ ने ही नोमिनेट किया है उसको.... तो यह ब्लोगगर्ज़ की गलती है.... और वैसे भी वो सुधर गए हैं.... काफी लोग उनका साथ दे रहे हैं .... सबसे बड़ी बात बाकी लोगों को छोड़ दें.... खुशदीप भैया जब सलीम के साथ हैं... तो जहाँ बड़े भैया ...वहां मैं.... सबसे आग्रह है कि खुशदीप भैया की पोस्ट ज़रूर देखें.......वैसे सलीम को मौका ज़रूर देना चाहिए.... वैसे भी बरसात के दिनों में जब बादल सूरज को ढँक लेते हैं तो सूरज की रौशनी कम नहीं होती.... सलीम अपनी नॉलेज का अच्छा यूज़ करें.... यही उनसे आग्रह है...
बाकी सबसे यही रिक्वेस्ट है कि खुशदीप भैया की पोस्ट पढ़ें.....
हिन्दी ब्लॉग जगत् न तो बदला है, और न तो आगे कभी बदलेगा ऐसा लगता है.
जवाब देंहटाएंब्लॉग पुरस्कारों में शुरू से ही बिना काम के हो-हल्ला मचता रहा है.
ठीक ऐसी ही, दो साल पुरानी घटना याद करना चाहें तो लिंक ये है -
http://raviratlami.blogspot.com/2008/01/blog-post_12.html
नोबल हो या पद्म पुरस्कार, विवाद तो सम्मान आयोजनों का अनिवार्य हिस्सा होता ही है!
बहरहाल, जाकिर जी के प्रयासों को नमन.
घमासान ..... घमासान ... घमासान ......... अधिकतर टिप्पणियाँ घमासान से अटी पड़ी हैं .... खैर जाकिर जी आपका प्रयास अच्छा है ... बधाई ..... विजेताओं को भी बधाई .........
जवाब देंहटाएं''हिन्दी ब्लॉग जगत् न तो बदला है, और न तो आगे कभी बदलेगा ऐसा
जवाब देंहटाएंलगता है.'' , इसे सुनने के बाद भी शायद कुछ कहने को नहीं बचना चाहिए ,,, पर
स्वतो-व्याघात तो इन महाशय की वाणी में ही है , जहाँ वे अपनी बात का अंत
करते हुए कहते है : ''बहरहाल, जाकिर जी के प्रयासों को नमन. '' अच्छा लगा यह
सुनकर ... यानी , न बदलने वाले इस ब्लॉग - जगत के '' महान '' प्रयासों को नमन !
बदलाव की कितनी चिंता है आपको ! इसके लिए आपको जन्नती - शुक्रिया !
.
अभी नया हूँ , इस ब्लॉग की दुनिया में ... सो सीखना तो खूब हो
हो रहा है .. लोग सिखा रहे हैं ही तुम बड़े बनो और बच्चों जैसा आचरण
न करो ( 'किसी प्रिय से मिल आओ '! जनाब,यह खजाना आपको ही मुबारक )
.... लोग बता रहे हैं कि रायता कैसे फैलाया जाता है , यह हमसे सीखो ...
कुछ लोग बड़े समर्पित ब्लोगर(?) हैं इसलिए वे बड़प्पन के दोनों
आभूषण धारण कर चुके हैं --- १ मौनता , व २ मूकता , अच्छा लगा हमें भी
यह देख कर ! .... कुछ लोग भाषा में खेल रहे हैं गोया जिन्दगी की कुशलता
इसी में है ...
.
@ नोबल हो या पद्म पुरस्कार, विवाद तो सम्मान आयोजनों का अनिवार्य हिस्सा होता
ही है!
---------- विवाद होता है .. यह रस्म है .. लेकिन बस इतना ही सही नहीं है .. इतना कहकर
किसी तार्किकता को ख़ारिज नहीं किया जा सकता ... यहाँ विरोध करने वालों का विरोध
कोई रस्मी - विरोध नहीं है , यहाँ विरोध के मूल में तार्किकता है ... काश इस तार्किकता को
आप पकड़ना चाहते ...स्पर्श करना चाहते उस स्रोत को जहाँ से विरोध-जन्य करुणा का
प्रवाह बह रहा है ... चलिए आप ख्याति - लब्ध , समर्पित ब्लोगर हैं आपको इनसे सबसे
क्या काम ! ... यह तो कुछ ऊधमबाज बच्चों का प्रलाप है ... और आप लोग तो 'सीरियस'(?) हैं न !
.
.
.उन सभी साथियों का शुक्रगुजार हूँ जो विरोध-जन्य करुणा में हमसफ़र बने .. हाँ इतना
तो साफ़ हो गया कि कल जेल में रखा गया कोई आतंकवादी भी नवोदित ब्लोगर हो सकता
है या मंदिर में भगवान् ( एतदर्थ इंसान )को बेंचने वाला कोई पुजारी भी , क्योकि ह्रदय
परिवर्तन का विरोध तो एक महज रस्मी चीज है ! ... और बधाई देने के लिए
तो ''धृतराष्ट्र - जमात '' आतुर बैठी है ..
.
कुछ लोगों से निराश हुआ जो बातों के शेर हैं और यहाँ आकर स्टैंड लेने के लिए
दो लाइन भी न लिख सके .. क्या पता आप भी समर्पित ब्लोगर हों ! ...
.
जाते जाते बस इतना ही बचा है ---
'' वो ज़रा सी बात पर वर्षों के याराने गए ,
लेकिन इतना कम हुआ कुछ लोग पहचाने गए ! ''
very nice!!!
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह वाह ,,,,,किस तरह किसी बकवास पर लंबी चोड़ी बाद हो सकती है . मान जब खुशदपब जी ने पहले ही सम्मान से खुद को अलग कर लिया था तो उस पर इतनी रामाचण क्यों बांची रही है...
जवाब देंहटाएंदुसरी बात
....कुछ सार्थक करना हो तो पुसदकर जी के शुभ काम में हाथ बंटाईए ..
तीसरी बात
किसी को इतनी जल्दी बाल्मिकी घोषित मत कीजिए....
सलीम खान जी को मिल गया? वाह! बधाई.
जवाब देंहटाएंअब बधाई के अलावा और क्या कहें? अरे भाई, वही तो कहते हैं मिलने पर. संत सिंह चटवाल को भी लोगों ने बधाई दी होगी और उन्होंने सारी बधाई समेट कर अपनी जेब के हवाले कर लिया होगा. पुरस्कार देने को बच्चों का खेल कहेंगे तो ऐसे ही पुरस्कार दिए और लिए जायेंगे. आदरणीय अरविंद जी कभी किसी को तटस्थ होने पर कोसते हैं तो कभी किसी को तटस्थ न होने पर. ये तटस्थता ने बड़ा हडकंप मचाया है जी. ब्लॉग जगत में भी और फाग जगत में भी. दुनियाँ के सत्य को समझाने के लिए विज्ञान का सहारा लेने वाले वैज्ञानिक-चेतना संपन्न हम सब के प्रिय अरविन्द जी यहाँ दुनियाँ के सत्य को दर्शन-शास्त्र के सहारे समझाने का प्रयत्न कर रहे हैं. सत्य समझाने का यह नियो-वैज्ञानिक तरीका है. जहाँ कुछ बोलने के लिए न हो, वहाँ दर्शन ठेलन शुरू कर दो.
अभी बहुत कुछ सामने आना शेष है? मतलब सरप्राइज और मिलेगा? बाह! बाह!
एक सवाल है.रत्नाकर जिस दिन अपने अम्मा से बोले होंगे कि अम्मा हमरा तो ऊ का कहते हैं, हाँ, ह्रदय परिवर्तन...ह्रदय परिवर्तन होइ गवा है तो का अम्मा जी उनके ओही क्षण बाल्मीकि कहने लग गई होंगी?
का कहा? कहने लगी थी? बाह! बाह!
(अरविन्द जी, आपने टिप्पणी करके बाद में बताया कि आपको इन पुरस्कारों से कोई मतलब नहीं है. मेरी यह टिप्पणी तो आपकी पहली टिप्पणी के लिए है. सर, अगर पुरस्कारों से लेना-देना नहीं है तो इस तरह के फैसले को उचित क्यों ठहरा रहे हैं? वो भी दर्शनशास्त्र के सहारे? @ "दो आँखों से जो दिखाई दे, सिर्फ उतना ही सत्य नहीं होता" कहकर.
देखिये, महा शिवरात्रि के दिन की टिप्पणी नहीं है ये. मधुयामिनी ख़त्म. अब मत कहियेगा कि इसीलिए मन कसैला है.....:-)
अगर आप लोग किसी को सम्मानित नही कर सकते तो करए वाले को तो मत कोसिये! आप खुद कुच्छौ करोगे नाही अऊर दूसरन को करने नही दोगे। इसका क्या मतलब?
जवाब देंहटाएंऔर खुशदीप जी को त्याग करने की क्यों सूझी है? यह भी सवाल है।
सलीम जी को सम्मानित किये जाने से लोगों को इत्ती पीडा का कारण सब समझ आता है।
अच्छा है इस ब्लाग जगत के ठेकेदार बनके डुबो दो इसे, जिससे जो हैं वो भाग जायें और नये के आने का रास्ता बंद करदो. अच्छे और प्रोत्साहन के कामों में रोडे अटकाईये.
शर्म करो...शर्म करो....
दोनों साथियों को बधाई।
जवाब देंहटाएंसलीम साहब के लिखे से मुझे कभी चिढ़ या कसमसाहट नहीं हुई। पता नहीं क्यूं। एक किस्म की ईमानदारी ही नजर आई। हालांकि जिन मसलों पर वे लिखते रहे, आज जो भारत हम बनाना चाहते हैं, उसमें कोई महत्व नहीं वैसी बातों, जानकारियों या मुद्दों का। बहरहाल, जाकिर भाई को भी इसके लिए बधाई।
सबसे बड़ी बात है अली साहब की टिप्पणी जिससे मैं सौ फीसद सहमत हूं।
सलीम खान और खुशदीप जी को बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंसलीम खान और खुशदीप जी को बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंआपके चयन को हँसी में उड़ा देने पर "तटस्थता" मान अपराधी बनाया जा रहा है तो बता देते है. हमें आपके चयन पर घोर असहमति है. और हम आपके प्रयास को नमन भी नहीं करते क्योंकि यह एक खास अभियान के प्रयास का हिस्सा है. जय हिन्द!
जवाब देंहटाएंAnonymous उर्फ़ बेनामी जी,
जवाब देंहटाएंआपको "शर्म करो" "शर्म करो" लिखने की ज़रुरत नहीं थी. पुरस्कार और पुरस्कृत को देखकर हम तो शर्म आ ही गई थी.
और वह ख़ास मकसद क्या हो सकता है संजय बाबू?
जवाब देंहटाएंकल अपने एक मित्र से मिला जो मुझे ब्लॉग लिखता देख पिछले साल अपना ब्लॉग शुरू किया था.. शायद अभी तक लिखता होता तो वह भी स्टार ब्लोगर में से आता..
जवाब देंहटाएंकल यूं ही उससे पूछ लिया कि तुम्हारा ब्लॉग पिछले ८-९ महीनो से सूना क्यों है भाई? उसका कहना था कि ऐसे ही लाइफ में इतना टेंसन है, ऊपर से यहाँ का भी टेंसन क्यों लूं? बिलकुल उसी के शब्दों में लिखूं तो, "यहाँ तो यार सबही कटखने कुत्तों जैसे झौं-झौं मचाये रहते हैं.. अपना डायरी ही भला था.. कम से कम टेंशन तो नहीं देता था.."
सोचा यह सही जगह है लिखने का, खूब हिट्स हो रहा होगा इस पोस्ट पर.. :)
दोनों विजताओं को बहुत बहुत बधाई....
जवाब देंहटाएंसलीम जी को कभी पढ़ा नहीं....और खुशदीप जी की आज कल सभी पोस्ट पढ़ी हैं....प्रभावित भी हूँ...
चयन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं क्यों कि ब्लोग्स और ब्लोगेर्स से नया परिचय है...
वैसे जब भी कोई नया काम किया जाता है उस पर सहमति और असहमति दोनों ही होती हैं...नए काम कि शुरुआत करने के लिए आप बधाई के पात्र हैं...
बहुत देर से आया इस पोस्ट पर.. कुछ दिनों की अनुपस्थिति रही, और अब अफसोस हो रहा है कि क्यों आया।
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉगिंग के अमेच्योरपने से हमेशा चिढ़ मचती रही, लेकिन अब चिढ़ से आगे बढ़कर यह घिन बनती जा रही है।
सलीम खान अच्छे ब्लॉगर हैं, सक्रिय रहते हैं, स्रोत जो भी हो, लेकिन जानकारियाँ बाँटने में यक़ीन रखते हैं, और सबसे बढ़कर अपने तथाकथित "हृदय-परिवर्तन" से उन्होंने बहुत दमदार चरित्र का परिचय दिया है, जो उतना आसान नहीं किसी के लिये..
लेकिन क्या यह सब पर्याप्त था, उन्हें हिंदी ब्लॉगिंग का पहला बहुप्रचारित पुरस्कार देने के लिये.. मेरी अल्मपति तो इसे कहीं से पर्याप्त नहीं समझ पाती! यदि "इन एन्टीसिपेशन" ही दिया जाना था, तो रेडियो मंत्रा की तर्ज पर ‘आज हिट कल सुपरहिट’ जैसा कोई पुरस्कार देना चाहिये था!! नवोदित ब्लॉगर सम्मान क्यों??
सलीम खान की इज़्ज़त तब भी करता था, जब वे पुराने तौर तरीकों से लिखते थे, क्योंकि पूरे ब्लॉगजगत को अपना दुश्मन बना लेना कोई हँसी ठट्ठा नहीं है, अब ज्यादा करता हूँ, क्योंकि अपनी चारित्रिक कमियों को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर बदलने में सफल होना आज के जुग-जमाने में कितने लोग कर पाते हैं??
लेकिन इन कृतित्वों के लिये नवोदित ब्लॉगर का सम्मान देकर बहुत नाइंसाफी की गई है- स्वयं सलीम के साथ भी..उन्हें जबरदस्ती का वाल्मीकि बनाकर लोग उनकी राह में सिर्फ काँटे बिछा रहे हैं, सलीम भाई के सबसे बड़े शत्रु तो वे हैं, जो उन्हें ब्लॉगरी की मुख्यधारा में आते नहीं देख पा रहे, अनजाने में अपने पुरस्कृतित्व के लिये उन्हें आलोचना का पात्र बना रहे हैं..
लेकिन सबसे ज्यादा दु:खद रहा इस पक्ष पर तथाकथित स्थापित लोगों की मौन सहमति। मैं जानता हूँ कि हिन्दी ब्लॉगिंग में अन्याय के विरुद्ध चीखने चिल्लाने से कुछ नहीं होगा, डेढ़ साल बाद यह भ्रम भी टूट चुका है, कि हिन्दी ब्लॉगरी से कोई क्रांति सम्भव है.. टिप्पणी और विजिटर्स काउंट से खाये पिये अघाये पेट केवल लोकप्रियता का साधन कर सकते हैं, किसी वैचारिक क्रांति की अगुआई नहीं।
लेकिन यह दशा दिशा देखकर प्रशांत भाई की चिंता से सहमत होना पड़ता है। बहुत सारे अच्छे लोग ब्लॉगिंग में सक्रियता शून्य कर चुके हैं, बहुत लोग खिन्न हैं, कोई रैंडम सर्फर आता है तो उसे केवल गुटबाजी और केंकड़ों की टोकरी नजर आती है.. आसार अच्छे नहीं हैं।
और खुलकर अगर अमरेन्द्र भाई या श्रीश भाई कोई आवाज उठाते हैं तो कोई सुर नहीं मिलाता। सबको अपनी "लोकप्रियता" की पड़ी है..
अमरेन्द्र भाई.. खामोश रहिये, चलिये कहीं टहल आते हैं.. रहना नहीं देस बेगाना रे
सौजन्य के नाते सलीम जी को बधाई देता हूँ, उम्मीद करता हूँ कि अब स्वयं को इस सम्मान के योग्य साबित करके हम लोगों की आलोचना को ग़लत साबित करेंगे।
jo ho raha hai thik ho rha hai..lage raho..
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