कौन कहता है इस देश में प्रकाशकों की कमी है?

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मुझे अक्सर ऐसे लोग मिल जाते हैं, जो प्रकाशकों का रोना रोते रहते हैं। प्रकाशक ऐसे होते हैं, वैसे होते हैं, किताब छापते नहीं है, दौड़ाते ब...


मुझे अक्सर ऐसे लोग मिल जाते हैं, जो प्रकाशकों का रोना रोते रहते हैं। प्रकाशक ऐसे होते हैं, वैसे होते हैं, किताब छापते नहीं है, दौड़ाते बहुत हैं वगैरह-वगैरह। लेकिन अगर आप गहराई से देखिए तो क्या हमारे देश में प्रकाशकों की कमी है?

मेरी नज़र में तो कम से कम ऐसी बात नहीं है। कारण, इसी माह में "टिनी टॉट पब्लिकेशंस" ने एक साथ मेरी 6 पुस्तकें प्रकाशित की हैं। इनके नाम है- मनोवैज्ञानिक कहानियाँ, प्ररक कहानियाँ, सामाजिक बाल कथाएँ एवं इनके अंग्रेजी वर्जन। उक्त सभी किताबें बाल कहानियों का संग्रह हैं, जो 144 पृष्ठों की पुस्तकों के रूप में रंगीन चित्रो से सुसज्जित हैं। और पुस्तक का मूल्य है 135 रू0 मात्र। लगे हाथ बताता चलूँ कि इससे पहले भी वे मेरी इतनी ही पुस्तकें प्रकाशित कर चुके हैं और पिछले एक साल से ही और पाण्डुलिपियों को भेजने की बात कह रहे हैं, किन्तु मैं अपनी व्यवस्तताओं के कारण ऐसा नहीं कर पा रहा हूँ।

"टिनी टॉट पब्लिकेशंस" देश का एक प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान है और देश मे ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सभी प्रमुख बुक स्टॉल पर इनकी किताबें आसानी से उपलब्‍ध हो जाती हैं। इस संस्थान से जब मेरी पहली पुस्तक प्रकाशित हुई थी, तो इन्होंने पैसों को लेकर थोड़ी सी परेशानी खड़ी की थी। लेकिन मैं अपनी शर्तों से ज़रा भी नहीं डिगा और नतीजा आज आप सबके सामने है।

अब आप ही बताइए कि कहाँ है इस देश में प्रकाशकों की कमी? आप स्तरीय लेखन करें, प्रकाशक आपको सिर माथे पर बिठाएंगे। आखिर उन्हें भी तो स्तरीय रचनाएँ चाहिए। सही कहा न?
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COMMENTS

BLOGGER: 17
  1. bilkul sahi kaha hain aapne achha sahitya chhapne waalo ki kami nahi hain
    jyotishkishore.blogspot.com

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  2. सही कहा रजनीश जी ........ आखिर प्रकाशकों को भी तो बिज़नस करना है ......

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  3. आपके विचारो से सहमत हूँ . प्रकाशकों की कोई कमी नहीं है ....

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  4. Sir,मुझे तो आजतक एक ना मिला, बहुत ज्यादा सुक भी नहीं मगर एक कहानी संग्रह और एक लघु उपन्यास छापने के लिए दो तीन जगह दिल्ली में सर पटका मगर कोई फायदा नहीं ! मैं नहीं कहता कि मैं एक महान दर्जे का कहानीकार हूँ लेकिन जो कहानिया मैं कितावो में पढता हूँ मेरे ख़याल से तो मैंने जो लिखी है उनसे बेहतर ही है ! खैर,

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  5. जानकर खुशी हुई। बाल साहित्य लिखने के लिए बधाई।
    घुघूती बासूती

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  6. अब आप ही बताइए कि कहाँ है इस देश में प्रकाशकों की कमी? आप स्तरीय लेखन करें, प्रकाशक आपको सिर माथे पर बिठाएंगे। आखिर उन्हें भी तो स्तरीय रचनाएँ चाहिए। सही कहा न?

    बहुत सही!

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  7. खुद अपने मुंह मिया मिट्ठू बन रहे हैं ज़ाकिर भई -यह ठीक बात नहीं है (अटल स्टाईल ) -मजाक !
    ढेर सारी बधाईयाँ !

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  8. ६ किताबें एक साथ !...भाई सच्ची और पूरी बात बताओ :)

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  9. पैसा लेकर छापने वाले प्रकाशकों को स्तरीय रचनायें कहाँ चाहिये ?

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  10. अरे! इनका अता-पता हमें भी दें भाई!

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  11. Congratulation sir! Sir Can I get your contact number ?

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  12. बधाई भाई।
    पुस्तकें अच्छी हैं। क़्वालिटी की माँग तो हमेशा रहेगी।

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  13. गोदियाल जी, शुरूआत में थोड़ी दिक्कत तो होती है। मुझे याद है 1986 में जब मेरा पहला संग्रह छपा था, उससे पहले मैं भी बहुत परेशान था। लेकिन जब सही जगह पहुंचा, तो फिर कभी ऐसी दिक्कत नहीं आई। मुझे लगता है कि इसके लिए आपको सही व्यक्ति तक पहुंचना होगा। और आपके लिए सही व्यक्ति कौन सा साबित होगा, इसके लिए आपको सर्च करना पड़ेगा। व्यक्गित स्तर पर मिल कर देखें और ज्यादा बड़े नाम के चक्कर में न पड़ें, तो आसानी से प्रकाशक मिल जाएंगे।

    अरविंद जी, कभी-कभी तो ऐसा मौका आता है। हमेशा रोने-धोने की बातों के बीच अगर खुश होने का मौका मिला है, तो उसे भी सभी लोगों के साथ शेयर करना चाहिए। आखिर इसी बहाने एक पोस्ट भी तो तैयार हो जाती है न?

    रतलामी जी, जिस प्रकाशक ने मेरी ये किताबें प्रकाशित की हैं, वे सिर्फ बाल साहित्य छापते हैं। यदि आपको इनका पता चाहिए हो, तो मैं भेज दूंगा।
    आपके लिए और अन्य लोगों के लिए मैं एक काम की बात बताना चाहूँगा, दिल्ली में जब विश्व पुस्तक मेला लगता है, वहाँ पर सभी प्रकाशकों की एक डायरेक्ट्री भी प्रकाशित होती है, जिसमें फोन से लेकर ईमेल तक के पते होते हैं। आप उसे कलेक्ट कर लें, फिर आपके प्रकाशकों का कोई टोटा नहीं रहेगा।

    प्रिया जी, मेरा मेल आई डी zakirlko@gmail.com है तथा मेरा फोन नं० 9935923334 है। आप यदि आवश्यक समझें, तो कान्टॅक्ट कर सकती हैं।

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  14. प्रकाशकों की तो कतई कमी नहीं है.
    लेखकों के लिए यह बहुत ही सार्थक पोस्ट है. धन्यवाद.
    --

    महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ [उल्टा तीर] आइये, इस कुरुती का समाधान निकालें!

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  15. Zakir bhai
    salam walaikum
    ज़ाकिर भाई आपकी सफ़लता के लिए हार्दिक शुभ कामनाएं स्वीकारिये

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  16. आपने बिल्कुल सही बात का ज़िक्र किया है ! मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ!

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  17. dr. sangeeta balwant8/21/2014 9:03 pm

    aapki khub kitabe aaye meri shubhkamna aapke sat hai

    जवाब देंहटाएं
आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

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कौन कहता है इस देश में प्रकाशकों की कमी है?
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