बाएं से दांए- जाकिर अली रजनीश, डा0 सुधाकर अदीब, श्री अनिल मिश्र 14 सितम्बर 2009, हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित उत्तर प्रदेश ह...
बाएं से दांए- जाकिर अली रजनीश, डा0 सुधाकर अदीब, श्री अनिल मिश्र |
14 सितम्बर 2009, हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ में जाकिर अली "रजनीश" की पुस्तक "हिन्दी में पटकथा लेखन" का लोकापर्ण समारोह भलीभांति सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम संस्थान के निदेशक डा0 सुधाकर अदीब के कर कमलों के द्वारा सम्पन्न हुआ। समारोह में लखनऊ के ब्लॉगर्स की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
"हिन्दी में पटकथा लेखन" फिल्म एवं टेलीविजन लेखन पर केन्द्रित एक शोधपरक पुस्तक है, जिसमें पटकथा लेखन (Script Writing) की बारीकियों को उदाहरण के साथ बताया गया है। 200 पृष्ठों की यह पुस्तक रू० 150.00 में उपलब्ध है, जिसे इच्छुक व्यक्ति विक्रय अधिकारी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, महात्मा गांधी मार्ग, लखनऊ-226002, फोन 0522-2616465 से (अथवा मुझसे 099359-23334 पर) सम्पर्क करके मंगा सकते हैं।
बाएं से दांए- पहली पंक्ति- श्री सर्वत जमाल, सुश्री अलका मिश्रा, श्री महफूज अली
दूसरी पंक्ति-श्री विनय प्रजापति, श्री जीशान हैदर जैदी, श्री सलीम खान
तीसरी पंक्ति- श्री यदुनाथ मुरारी, श्री जाकिर अली रजनीश, श्री गिरेजेश राव
लोकार्पण समारोह के बहाने यशपाल सभागार में लखनऊ के सक्रिय ब्लॉगर्स भी एकत्रित हुए। लखनऊ के ब्लॉगर्स की इतने बडे पैमाने पर यह पहली मुलाकात थी। इस अवसर पर उपस्थित रहने वाले ब्लॉगर्स के नाम हैं- श्री सर्वत एम0 जमाल, श्री गिरिजेश राव, श्री महफूज अली, श्री अमित ओम, श्री जीशान हैदर जैदी, श्री सलीम खान श्री विनय प्रजापति, सुश्री अलका मिश्रा तथा इन पंक्तियों का लेखक जाकिर अली "रजनीश"। हिन्दी दिवस समारोहों की व्यस्तता के चलते लखनऊ के दो अन्य ब्लॉगर सुश्री मीनू खरे एवं सुश्री कंचन सिंह चौहान जी नहीं उपस्थित हो सकीं, पर उन्होंने फोन के द्वारा अपनी शुभकामनाएं पहुंचाईं और अन्य साथी ब्लॉगर्स से न मिल पाने का अफसोस जताया।
इस बैठक के दौरान सर्वत जी ने इस तरह की बैठकों का सिलसिला बढाने का सुझाव रखा, जबकि महफूज का सुझाव था कि साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन की तरह लखनऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन का गठन किया जाए। हम लोगों का प्लान था कि कार्यक्रम के बाद कॉफी हाउस में बैठकर थोडी गपशप की जाएगी, पर अचानक मौसम बिगड जाने एवं कार्यक्रम विलम्ब से शुरू होने के कारण ऐसा न हो सका। हाँ, सभी ब्लॉगर्स की यह दिली इच्छा रही कि आगे भी इस तरह के मेल मिलाप के कार्यक्रम होते रहने चाहिए।
बाएं से दांए- श्री जीशान हैदर जैदी, श्री सलीम खान, श्री यदुनाथ मुरारी, श्री विनय प्रजापति, श्री जाकिर अली रजनीश, सर्वत जमाल, सुश्री अलका मिश्रा, श्री महफूज अली |
इस कार्यक्रम के कुछ फोटोग्राफ ओम भाई के सौजन्य से यहां पर उपलब्ध हैं।
पुस्तक के विस्तृत विवरण के लिए कृपया यहां पर क्लिक करें।
बहुत बहुत बधाई जी आपको
जवाब देंहटाएंबधाई रजनीश जी!
जवाब देंहटाएंbhai badi khushi hui saare bloggers ko dekh kar...
जवाब देंहटाएंbahut bahut badhai..
Saare bloggers chamak rahe hain aur janab Mahfooz to bade dashing lag rahe hain. kya baat hai !!
जवाब देंहटाएंbadhai !!
आपको बहुत - बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंरजनीश जी को पुस्तक के लिये बहुत बहुत बधाई और सभी ब्लागर्ज़ को भी बधाई
जवाब देंहटाएंबहोत बहोत बधाई। आपको। और सभी ब्लोगर भाइ बह्न को देखकर मेनेजर प्रफुल्लित हो गया। काश! हम भी वहं होते।
जवाब देंहटाएंएक बार पुन: ज़ाकिर जी को बधाई देता हूँ।
जवाब देंहटाएंज़ाकिर भाई और ॐ जी का धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई .
जवाब देंहटाएंलखनऊ के चिठ्ठाकारों का एक मंच का सुझाव सराहनीय है...आशा करता हूँ अगले वर्ष लखनऊ आगमन पर आप श्रेष्ठ जन से मिलने का सौभाग्य प्राप्त होगा
ज़ाकिर रजनीश जी को बहुत बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा जानकर. खबर के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंरजनीश जी.....पुस्तक के लिये बहुत बहुत बधाई ....लखनऊ के सभी चिठ्ठाकारों को बहुत बहुत बधाई ....
जवाब देंहटाएंज़ाकिर भाई सबसे पहले इस महत्वपूर्ण और ज़रूरी पुस्तक के प्रकाशन पर आपको बधाई । और सभी मित्रों को यहाँ तस्वीर मे देखना अच्छा लगा ।पुस्तक मंगवाने का ज़रिया बतायें ।
जवाब देंहटाएंआपको हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंरजनीश जी आपको बहुत बहुत बधाई.....
जवाब देंहटाएंआयोजन की भव्यता आगे भी बने रहे !!
ज़ाकिरजी ,आपकी पुस्तक के विमोचन पर बहुत बहुत बधाई .आप इसी तरह अपनी साधना से हमेशा सृजनशील रहें यह हमारी शुभकामना है.लखनऊ और दिल्ली के बीच आवागमन का कुछ ऐसा सिलसिला बना है कि चिट्ठाजगत से बड़े फासले हो गए. आपका निमंत्रण आज ही देख पाई .बड़ा अफ़सोस हुआ इस समारोह में उपस्थित न हो पाने का. अन्य ब्लोगरों के साथ आपसे मिलने का अवसर भी चूक गयी . एक बार फिर बहुत बधाई और शुभाशीष !
जवाब देंहटाएंZakir Bhai, aapki ek aur badi uplabdhi par bahut bahut badhai, sath me mujh jaise nausikhiye ke blog par aane aur tippadi dene ke liye bahut bahut dhanyawad. aapka sujhav mere liye adesh hai lekin sari post ek sath galti se post ho gayee theen, main fir se ek ek kar ke hi daloonga thanks.
जवाब देंहटाएंaapka-
Dipak 'Mashal'
swarnimpal.blogspot.com
इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
जवाब देंहटाएंकहते हैं, जिसका घर स्टेशन से नजदीक होता है, उसकी गाड़ी छूट जाने के ज्यादा चांसेस होते हैं. मेरा मामला भी कुछ ऐसा ही हुआ. लखनऊ में रहने के बावजूद, मैं अब तक इस ब्लॉग पर कमेन्ट देने नहीं आया. मुझे लगा, मैं तो खुद इस मामले का एक हिस्सा हूँ, भला अपना कमेन्ट क्यों दूं. इस दौरान, रमजान, ईद, नवरात्र वगैरह ने भी थोडा नेट से दूर रखा.
जवाब देंहटाएंलेकिन, अब मेरी समझ में आया कि जब जाकिर अली 'रजनीश' को मुख्य भूमिका में होने के बावजूद इस टास्क को अपने हाथों अंजाम देना पड़ा तो मुझ में कौन से सुरखाब के पर लगे हैं.
कार्यक्रम की बेहतरीन कवरेज और नायाब फोटोग्राफी ने इस लेख और इस ऐतिहासिक अवसर को शानदार ही नहीं जानदार भी बना दिया है. बधाई.
Aapko bahut badhaee. lakhnau ke bloggers ke chehaere pehechanane ka bhee mauka laaga.
जवाब देंहटाएंrajneesh ji , sabse pahle to is blogger sammelan ke liye badhai . mahfooz bhai wahi the , ab mujhe lag raha hai ki main bhi wahi aata to sabe mulakhaat ho jaati , par no issue , there is allway a better time.
जवाब देंहटाएंaapka dhanyawad ..
regards
vijay
pls read my 100th post
www.poemsofvijay.blogspot.com
Jakir ali Rajnish ji ! aapko bahut
जवाब देंहटाएंbahut bdhai ho.....anusarn aur badhai ke liye punh badhai !
Bahut Bahut Badhaaii...
जवाब देंहटाएंNeeraj
बहुत-बहुत बधाई ज़ाकिर भाई. पुस्तक शोध परक होगी ऐसी आशा है. कार्यक्रम के फोटो अच्छे हैं और कवरेज़ भी. कभी लखनऊ आना हुआ तो आप सबके दर्शन ज़रूर करूंगा.
जवाब देंहटाएंrajnish ji badhaai ho!! aise hi mangal karya karte rahain!
जवाब देंहटाएंजाकिर साहब
जवाब देंहटाएंआयोजन के लिए धन्यबाद....पता नहीं चला वर्ना हम भी आते... पुस्तक मेले मे गया तो मैं भी था इस पुस्तक की तरफ ध्यान नहीं गया बहरहाल किताब दिए गए पते से मगाउंगा तब पढ़ कर समीक्षा जरूर भेजूंगा फ़िलहाल बधाई स्वीकार करें