--> भाऊराव देवरस सेवा न्यास , लखनऊ द्वारा आयोजित चतुर्दश पं० प्रताप नारायण मिश्र स्मृति युवा साहित्यकार सम्मान समारोह में बाल साह...
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भाऊराव देवरस सेवा न्यास, लखनऊ द्वारा आयोजित चतुर्दश पं० प्रताप नारायण मिश्र स्मृति युवा साहित्यकार सम्मान समारोह में बाल साहित्य में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मानित। सम्मान स्वरूप पांच हजार रूपये नकद, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह एवं न्यास द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का सेट भेंट किया गया।
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जाकिर अली जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई।
जाकिर अली जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई।
हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएं"congratulations for the wonderful achievement and Good Luck"
जवाब देंहटाएंRegards
badhayee.
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंसादर ब्लॉगस्ते!
जवाब देंहटाएंकृपया निमंत्रण स्वीकारें व अपुन के ब्लॉग सुमित के तडके (गद्य) पर पधारें। "एक पत्र आतंकवादियों के नाम" आपकी अमूल्य टिप्पणी हेतु प्रतीक्षारत है।
हार्दिक बधाई स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंजाकिर साहब नाम सुना सा लगता है क्या आप कुछ पात्र पत्रिकाओं में भी लिखा करते हैं?
जवाब देंहटाएं... ढेर सारी बधाई !
जवाब देंहटाएंबधाई.. मेरे भाई...
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई...
बहुत-बहुत बधाई जाकिर जी!!!!!
जवाब देंहटाएंजाकिर अली जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई।
आपने यह सम्मान जीता बहुत खुशी हुई बधाई
जवाब देंहटाएंApko bahot bahot badhai, Zakir sahab,
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाइयाँ, अपने तो लखनऊ वालों का नाम रोशन कर दिया, अल्लाह-ताला आपको ऐसी हज़ार ख़ुशियाँ दे।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंमुबारकबाद क़ुबूल करें... अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर... हमने अपने ब्लॉग में आपके ब्लॉग का लिंक दिया है...
जवाब देंहटाएंबहुत -बहुत बधाइयाँ .अभी तो ये पड़ाव है भाई जी, मंजिल पर पहुचना है .इसी तरह आगे बढ़ते रहिये .
जवाब देंहटाएंbahut bahut badhai
जवाब देंहटाएंaaj hindi men likha nahin ho paaraha hai -sir aap wo to nahin hai jinka janm 1975 men hua aur 1999men jinka kahanee sangrah prakashit hua jismen paryavaran se judee 6 sundr kahaniya chhapee tatha braksh baba /hara sona /sapno kaa gaav /jo bachchon ke man par chaa jane waalee hain
जवाब देंहटाएंअब जब पहिचान हो ही गई है और आपने मुझे अपना बना ही लिया है तो पहली मुलाक़ात में शिकायत ही सही और वो यह कि आप आजकल ब्लॉग पर नया कुछ लिख क्यों नहीं रहे या फिर मुझे नहीं मिल पा रहा है रहा /आपके वारे में जानने का तो "" भटकती है प्यास मेरी इस नदी से उस नदी तक ""
जवाब देंहटाएंwahan to 12.5.08 ke baad ka kuchh likhaa mila hee nahin
जवाब देंहटाएंसाहित्य सम्मान के लिए बहुत बहुत बधाई....!
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