मैं सच कहता हूं मैंने एक अपराध किया है। मैंने तुम्हें, हां तुम्हें ही अपने दिल की दीवारों में कैद कर लिया है। अब...
मैं सच कहता हूं
मैंने एक अपराध किया है।
मैंने तुम्हें, हां तुम्हें ही
अपने दिल की दीवारों में
कैद कर लिया है।
अब हर क्षण
तुम्हारे केशों की सुगंध से
अपनी सांसें महकाया करता हूं।
नहीं पैदा हुआ कोई क्षण
जब मैंने तुम्हें
अपनी कल्पनाओं के पाश से
आजाद कर दिया हो।
न होगा कोई लम्हा
जब मैं अपनी
सपनों की लडियों से
तुम्हें अलहदा कर दूं।
पर शायद अब तक
तुम अनजान हो इससे
कि मैंने तुम्हें
तुमसे ही चुरा लिया है।
वैसे मुझे यह अधिकार भी
तुम्हारा ही दिया है।
मैं सच कहता हूं
मैंने एक अपराध किया है।
बहुत बढिया अभिव्यक्ति , सोचने पर मजबूर कर दिया !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंek khubsurat apraadh.......
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई हम तो तुम्हे बहुत शारीफ़ समझ्ते हे ,आज आप की यह सुन्दर कविता पढ कर पता चला आप तो छुपे रुसत्म निकले, धन्यवाद सुन्दर कविता के लिये, मजाक का बुरा न मानान
जवाब देंहटाएंऐसे अपराध तो माफ़ किए जा सकते हैं पर इस वादे के साथ कि आप फ़िर से करें. :)
जवाब देंहटाएंbahut khoob ustad... keep it up.
जवाब देंहटाएंप्यारी कविता ..अपराध नहीं प्यार किया है
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता है । प्यार का कबूलनामा अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंपर शायद अब तक
जवाब देंहटाएंतुम अनजान हो इससे
कि मैंने तुम्हें
तुमसे ही चुरा लिया है।
kya baat hain, bahut hi sundar abhivyakti
कहा आपने जो यहाँ वह कैसे अपराध।
जवाब देंहटाएंप्रेम गली है साँकरी लेकिन चले अबाध।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
कबीर जी कहते हैं न....ढाई आखर प्रेम के..पढ़े सो पंडित होए...अरे भई अगर यह अपराध सभी की किस्मत में आ जाये तो दुनिया स्वर्ग न बन जाये...दुया करो सभी के लिए कि वे नफरत और जंग छोडकर इन ढाई अक्षरों को ही सीख लें...
जवाब देंहटाएंमैं सच कहता हूं
जवाब देंहटाएंमैंने एक अपराध किया है।
मैंने तुम्हें, हां तुम्हें ही
अपने दिल की दीवारों में
कैद कर लिया है।
प्यारी कविता