रूमानी कविता: अपराध

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मैं सच कहता हूं मैंने एक अपराध किया है। मैंने तुम्हें, हां तुम्हें ही अपने दिल की दीवारों में कैद कर लिया है। अब...




















मैं सच कहता हूं
मैंने एक अपराध किया है।
मैंने तुम्हें, हां तुम्हें ही
अपने दिल की दीवारों में
कैद कर लिया है।
अब हर क्षण
तुम्हारे केशों की सुगंध से
अपनी सांसें महकाया करता हूं।
नहीं पैदा हुआ कोई क्षण
जब मैंने तुम्हें
अपनी कल्पनाओं के पाश से
आजाद कर दिया हो।
न होगा कोई लम्हा
जब मैं अपनी
सपनों की लडियों से
तुम्हें अलहदा कर दूं।
पर शायद अब तक
तुम अनजान हो इससे
कि मैंने तुम्हें
तुमसे ही चुरा लिया है।
वैसे मुझे यह अधिकार भी
तुम्हारा ही दिया है।
मैं सच कहता हूं
मैंने एक अपराध किया है।
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COMMENTS

BLOGGER: 12
  1. बहुत बढिया अभिव्यक्ति , सोचने पर मजबूर कर दिया !

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  2. जाकिर भाई हम तो तुम्हे बहुत शारीफ़ समझ्ते हे ,आज आप की यह सुन्दर कविता पढ कर पता चला आप तो छुपे रुसत्म निकले, धन्यवाद सुन्दर कविता के लिये, मजाक का बुरा न मानान

    जवाब देंहटाएं
  3. ऐसे अपराध तो माफ़ किए जा सकते हैं पर इस वादे के साथ कि आप फ़िर से करें. :)

    जवाब देंहटाएं
  4. प्यारी कविता ..अपराध नहीं प्यार किया है

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुन्दर कविता है । प्यार का कबूलनामा अच्छा लगा ।

    जवाब देंहटाएं
  6. पर शायद अब तक
    तुम अनजान हो इससे
    कि मैंने तुम्हें
    तुमसे ही चुरा लिया है।

    kya baat hain, bahut hi sundar abhivyakti

    जवाब देंहटाएं
  7. कहा आपने जो यहाँ वह कैसे अपराध।
    प्रेम गली है साँकरी लेकिन चले अबाध।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.

    जवाब देंहटाएं
  8. कबीर जी कहते हैं न....ढाई आखर प्रेम के..पढ़े सो पंडित होए...अरे भई अगर यह अपराध सभी की किस्मत में आ जाये तो दुनिया स्वर्ग न बन जाये...दुया करो सभी के लिए कि वे नफरत और जंग छोडकर इन ढाई अक्षरों को ही सीख लें...

    जवाब देंहटाएं
  9. मैं सच कहता हूं
    मैंने एक अपराध किया है।
    मैंने तुम्हें, हां तुम्हें ही
    अपने दिल की दीवारों में
    कैद कर लिया है।

    प्यारी कविता

    जवाब देंहटाएं
आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

नाम

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रूमानी कविता: अपराध
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