तुम जान जिगर मेरी मोहब्बत का सिलसिला। कैसे कहूं कि तुम मेरी क्या लगती हो भला।। अरमान हो तुम, मान हो, ईमान हो मेरा। तेरा ही नाम लूं मै...
तुम जान जिगर मेरी मोहब्बत का सिलसिला।
कैसे कहूं कि तुम मेरी क्या लगती हो भला।।
अरमान हो तुम, मान हो, ईमान हो मेरा।
तेरा ही नाम लूं मैं जब हो शाम सवेरा।
काफिर मैं हो गया हूं तुम्हें कह दिया खुदा!
कैसे कहूं कि तुम मेरी क्या लगती हो भला।।
देखा तुम्हें तो लगा तुम मेरी तलाश थी।
मुद्दत से जो भड़की हुई तुम वो ही प्यास थी।
आंखों में तेरी प्यार का सागर मुझे मिला।
कैसे कहूं कि तुम मेरी क्या लगती हो भला।।
तुम प्रीत मेरी, मीत मेरी, मेरी प्रियतमा।
तुम जिंदगी का गीत हो बस मेरी दिलरूबा।
कर सकता नहीं बिन तेरे जीने की कल्पना।
कैसे कहूं कि तुम मेरी क्या लगती हो भला।।
तुमसे है मेरा प्यार मेरी तुमसे हर खुशी।
तुम जब से मिली मुझको लगा जिंदगी मिली।
तुम साथ रहो रूठे भी रब तो नहीं गिला।
कैसे कहूं कि तुम मेरी क्या लगती हो भला।।
कैसे कहूं कि तुम मेरी क्या लगती हो भला।।
अरमान हो तुम, मान हो, ईमान हो मेरा।
तेरा ही नाम लूं मैं जब हो शाम सवेरा।
काफिर मैं हो गया हूं तुम्हें कह दिया खुदा!
कैसे कहूं कि तुम मेरी क्या लगती हो भला।।
देखा तुम्हें तो लगा तुम मेरी तलाश थी।
मुद्दत से जो भड़की हुई तुम वो ही प्यास थी।
आंखों में तेरी प्यार का सागर मुझे मिला।
कैसे कहूं कि तुम मेरी क्या लगती हो भला।।
तुम प्रीत मेरी, मीत मेरी, मेरी प्रियतमा।
तुम जिंदगी का गीत हो बस मेरी दिलरूबा।
कर सकता नहीं बिन तेरे जीने की कल्पना।
कैसे कहूं कि तुम मेरी क्या लगती हो भला।।
तुमसे है मेरा प्यार मेरी तुमसे हर खुशी।
तुम जब से मिली मुझको लगा जिंदगी मिली।
तुम साथ रहो रूठे भी रब तो नहीं गिला।
कैसे कहूं कि तुम मेरी क्या लगती हो भला।।
A Hindi Poem (Geet) by Zakir Ali 'Rajneesh'
"तुम प्रीत मेरी, मीत मेरी, मेरी प्रियतमा।
जवाब देंहटाएंतुम जिंदगी का गीत हो बस मेरी दिलरूबा।"
वाह, क्या अभिव्यक्ति है भाई जाकिर अली! लिखते रहें, आपकी लेखनी बहुत लोगों को स्पर्श करेगी -- शास्त्री जे सी फिलिप
मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!
सनेह -पयार पगा एक पयारा गीत!
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