न जाने क्यों अब मुझको किसी भी आहट पर शक होने लगता है तुम्हारी ही पगध्वनि का जब भी अधीर कानों से टकराती है कोई आवाज लगता है मुझको तु...
न जाने क्यों अब मुझको
किसी भी आहट पर
शक होने लगता है
तुम्हारी ही पगध्वनि का
जब भी अधीर कानों से
टकराती है कोई आवाज
लगता है मुझको
तुम ही कुछ कह रही हो।
सुगन्धित हवाओं का
जब कोई झोंका
नजदीक से गुजरता है
लगता है जैसे
पास तुम खड़ी हो।
बावली, उतावली, प्यासी निगाहें
जब जहां जिधर जाती हैं
मुझको हर शै में
तुम्हारे दीदार होने लगते हैं।
तुम्हारे बिना यह जिन्दगी
बेकार और सज़ा है
न जाने क्यों मुझको
कुछ ऐसा लगा रहा है?
A Romantic Hindi Poem (Roomani Kavita) by Jakir Ali ‘Rajnish’ keywords: romantic poems in hindi, romantic poem for girlfriend in hindi, romantic poetry in hindi, romantic poems for him in hindi, romantic poems for her in hindi, romantic poem for boyfriend in hindi
किसी भी आहट पर
शक होने लगता है
तुम्हारी ही पगध्वनि का
जब भी अधीर कानों से
टकराती है कोई आवाज
लगता है मुझको
तुम ही कुछ कह रही हो।
सुगन्धित हवाओं का
जब कोई झोंका
नजदीक से गुजरता है
लगता है जैसे
पास तुम खड़ी हो।
बावली, उतावली, प्यासी निगाहें
जब जहां जिधर जाती हैं
मुझको हर शै में
तुम्हारे दीदार होने लगते हैं।
तुम्हारे बिना यह जिन्दगी
बेकार और सज़ा है
न जाने क्यों मुझको
कुछ ऐसा लगा रहा है?
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thank you for reading my blog and posting your comments there i could not find your email so posting this comment
जवाब देंहटाएंrachn