मंहगाई मंहगाई की मार से एक्ट्रेस गयी मारी हैं इसीलिए शायद फिरती ओघारी हैं। बैर सरस्वती और लक्ष्मी में न जाने क्यों बैर है, दोनों क...
मंहगाई
मंहगाई की मार से
एक्ट्रेस गयी मारी हैं
इसीलिए शायद
फिरती ओघारी हैं।
बैर
सरस्वती और लक्ष्मी में
न जाने क्यों बैर है,
दोनों का एक जगह
टिकता नहीं पैर है।
धन्धा
रैलियों में भीड़ बढ़ाने का
धन्धा वे चलाते हैं,
पचास प्रतिशत काट कर
पच्चीस दिलाते हैं।
असंतुलन
परिवार नियोजन इकाई के
वे सबसे बड़े साब हैं,
पर देखिए असंतुलन
सिर्फ नौ बच्चों के बाप हैं।
मांग
सास बोली बहू से
तू सब कुछ तो लायी,
पर कहां गया
कैरोसीन, दियासलाई?
सार्थकता
चुने हुए दादा सब
फिर से टिकट पाए हैं,
वाकई चुनाव शब्द को
सार्थक बनाए हैं।
उद्योग
वर पक्ष के लिए शादियां
मुनाफे का उद्योग है,
इसमें मात्र मुनाफे का
बनता संयोग है।
ताकत
उनकी ताकत के सामने
लोग पानी भरते हैं
पर वे पत्नी के सामने
स्वयं इसका रियाज़ करते हैं।
देन
अंग्रेजी सभ्यता ने
इतना कुछ दिलाया है
जीतेजी मां को 'ममी'
पिता को 'डेड' बनाया है।
हार
अपनी हार को पाक
कुछ इस तरह भुना रहा है,
कश्मीरियों को भट्टी का
कोयला बना रहा है।
मंहगाई की मार से
एक्ट्रेस गयी मारी हैं
इसीलिए शायद
फिरती ओघारी हैं।
बैर
सरस्वती और लक्ष्मी में
न जाने क्यों बैर है,
दोनों का एक जगह
टिकता नहीं पैर है।
धन्धा
रैलियों में भीड़ बढ़ाने का
धन्धा वे चलाते हैं,
पचास प्रतिशत काट कर
पच्चीस दिलाते हैं।
असंतुलन
परिवार नियोजन इकाई के
वे सबसे बड़े साब हैं,
पर देखिए असंतुलन
सिर्फ नौ बच्चों के बाप हैं।
मांग
सास बोली बहू से
तू सब कुछ तो लायी,
पर कहां गया
कैरोसीन, दियासलाई?
सार्थकता
चुने हुए दादा सब
फिर से टिकट पाए हैं,
वाकई चुनाव शब्द को
सार्थक बनाए हैं।
उद्योग
वर पक्ष के लिए शादियां
मुनाफे का उद्योग है,
इसमें मात्र मुनाफे का
बनता संयोग है।
ताकत
उनकी ताकत के सामने
लोग पानी भरते हैं
पर वे पत्नी के सामने
स्वयं इसका रियाज़ करते हैं।
देन
अंग्रेजी सभ्यता ने
इतना कुछ दिलाया है
जीतेजी मां को 'ममी'
पिता को 'डेड' बनाया है।
हार
अपनी हार को पाक
कुछ इस तरह भुना रहा है,
कश्मीरियों को भट्टी का
कोयला बना रहा है।
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