महसूस करो तो पाओगे चुप–चुप, फिर न रह पाओगे कभी यादों में कभी रातों में कभी अपने दिल के बागों में बैठे–बैठे मुस्काओगे कभी नाम लिखोगे...
महसूस करो
तो पाओगे
चुप–चुप,
फिर न रह पाओगे
कभी यादों में
कभी रातों में
कभी अपने दिल के बागों में
बैठे–बैठे मुस्काओगे
कभी नाम लिखोगे
कागज़ पर
चौंकोगे हर एक आहट पर
बैठे–बैठे तनहा–तनहा
आंखों में रात बिताओगे।
तो पाओगे
चुप–चुप,
फिर न रह पाओगे
कभी यादों में
कभी रातों में
कभी अपने दिल के बागों में
बैठे–बैठे मुस्काओगे
कभी नाम लिखोगे
कागज़ पर
चौंकोगे हर एक आहट पर
बैठे–बैठे तनहा–तनहा
आंखों में रात बिताओगे।
Mind blowing sir... Well I'm copying it!!!
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