बचपन में मांगा था चांद मैंने अपनी मां से तब मां ने कहा था, पहले बड़े तो हो जाओ। लेकिन बड़े होकर भी कहां मिल सका है मुझे मेरा चांद? अब...
बचपन में
मांगा था चांद
मैंने अपनी मां से
तब मां ने कहा था,
पहले बड़े तो हो जाओ।
लेकिन बड़े होकर भी
कहां मिल सका है
मुझे मेरा चांद?
अब मुझे लगता है,
मन है बावला
जो उसके लिए रोता है
चांद कभी भी
किसी को नहीं मिलता
क्योंकि चांद
आखिर चांद होता है।
मांगा था चांद
मैंने अपनी मां से
तब मां ने कहा था,
पहले बड़े तो हो जाओ।
लेकिन बड़े होकर भी
कहां मिल सका है
मुझे मेरा चांद?
अब मुझे लगता है,
मन है बावला
जो उसके लिए रोता है
चांद कभी भी
किसी को नहीं मिलता
क्योंकि चांद
आखिर चांद होता है।
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