(कार्यक्रम संयोजक सर्वेश अस्थाना स्वागत भाषण देते हुए) यह बडे दुर्भाग्य का विषय है कि हमारे समाज में न तो बच्चों को उचित सम्मान...
यह बडे दुर्भाग्य का विषय है कि हमारे समाज में न तो बच्चों को उचित सम्मान दिया जाता है और न ही बच्चों का साहित्य रचने वाले रचनाकारों को। जबकि हम सब जानते हैं कि बच्चे ही किसी समाज का भविष्य होते हैं और उस भावी समाज को सुशिक्षित एवं सुसंस्कारित बनाने में बालसाहित्य का बहुत बड़ा योगदान है। इसलिए यदि हम चाहते हैं कि हमें बच्चे आगे चलकर नैतिकता पर चलें, वे अपने बुजुर्गों का सम्मान करें, तो उन्हें नियमित रूप से स्वस्थ बाल साहित्य पढने को दें।
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी उपाध्यक्ष ने दिनांक 30 दिसम्बर, 2013 को बाल रचनाकारों के सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए उपरोक्त विचार रखे। वे सर्च फाउंडेशन और यू.पी. प्रेस क्लब द्वारा संयुक्त रूप से लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर सभा को सम्बोधित करते हुए यह आश्वासन भी दिया कि अगले वर्ष से हिन्दी संस्थान से बाल साहित्य पर एक बड़ा सम्मान भी प्रदान किया जाएगा।
उदय प्रताप सिंह, डॉ. ज़ाकिर अली रजनीश को बाल साहित्य सम्मान प्रदान करते हुए |
कार्यक्रम के संयोजक एवं चर्चित हास्य कवि सर्वेश अस्थाना ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बाल साहित्य लेखन का कार्य किसी साधना से कम नहीं, क्योंकि इसमें लेखक स्वयं को बचपन के स्तर पर ले जाता है और तत्पश्चात एक अच्छी रचना का निर्माण कर पाता है।
कार्यक्रम में बाल साहित्य की सेवा करने वाले 6 बाल साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाले रचनाकारों के नाम हैं: श्री विनोद चंद्र पाण्डेय, श्री सूर्य कुमार पाण्डेय, श्री शंकर सुल्तानपुरी, डॉ. सुरेन्द्र विक्रम, डॉ. जाकिर अली रजनीश एवं डॉ. मंजरी शुक्ला।
कार्यक्रम को सर्च फाउंडेशन के संरक्षक अनिल टेकरीवाल ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने बताया कि जल्द ही संस्था 'द चिल्ड्रेन टाइम्स डॉट कॉम' नामक पोर्टल लांच करने वाली है, जिसमें बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनके मनोरंजन एवं समस्याओं से भी सम्बंधित सामग्री का प्रकाशन किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन वत्सला पाण्डेय ने किया।
सम्मानित रचनाकार, संयोजक एवं मुख्य अतिथि के साथ |
इस अवसर पर सम्मानित रचनाकारों ने भी अपने विचार रखे और संक्षेप में अपनी रचनाओं के बारे में अपने वक्तव्य दिये। इसके साथ ही उन्होंने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ भी किया।
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बहुत बहुत बधाईयां....मुझे भी इस कार्यक्रम में शिरकत कर के बहुत अच्छा लगा। आप जैसे अन्य बाल कथाकारों से रू-ब-रू होना बहुत अच्छा अनुभव रहा। आदरणीय शंकर सुल्तानपुरी जी का सादा और बिंदास अंदाज़ लाजवाब था। हमें ऐसे लोगों से भी प्रेरणा मिलती है जो कि इस तरह के मिशन के साथ निरंतर ६० वर्षों से जुड़ें हुए हैं...लेकिन लेशमात्र भी अहम् नहीं, कुछ लोग कितने सहज, कितने सादे होते हैं और ये लोग हमारे लिए प्रेरणा-स्रोत होते हैं।
हटाएंबहुत बहुत बधाईयां ...ईश्वर आप को आगे भी ऐसे सम्मान दिलाता रहे।
चोपडा जी, आपका विनम्र एवं स्नेहिल आशीष पाकर अभिभूत हूं।
हटाएंबधाई हो।
हटाएंहार्दिक आभार।
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हटाएंबहुत बहुत बधाई
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