सार्थक बहस के लिए याद किया जाएगा भीलवाड़ा का बालसाहित्य समारोह।

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सार्थक बहस के लिए याद किया जाएगा भीलवाड़ा का बालसाहित्य समारोह।

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राजस्थान साहित्य अकादमी एवं बालवाटिका पत्रिका द्वारा संयुक्त रूप से दिनांक 01 एवं 02 अक्टूबर 2011 को भीलवाड़ा में आयोजित रा...


राजस्थान साहित्य अकादमी एवं बालवाटिका पत्रिका द्वारा संयुक्त रूप से दिनांक 01 एवं 02 अक्टूबर 2011 को भीलवाड़ा में आयोजित राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह सार्थक संवाद के लिए याद किया जाएगा।
उद्घाटन सत्र के दौरान 'बाल वाटिका' के अक्‍टूबर 2011 अंक का विमोचन।

पाँच विभिन्न सत्रों में आयोजित यह कार्यक्रम मुख्य रूप से इक्कीसवीं सदी के बाल साहित्यपर केन्द्रित रहा, जिसमें तीन अलग-अलग सत्रों में बाल साहित्य की तीन प्रमुख विधाओं कविता, कहानी और उपन्यास पर गम्भीर चर्चा देखने को मिली। कविता सत्र की शुरूआत भगतवती प्रसाद गौतम के यह सदी और हिन्दी बाल काव्य की सतरंगी दुनियाशीर्षक पत्रावाचन से हुई, जिसमें उन्होंने बाल कविता के 100 वर्षों के इतिहास को खंगालते हुए उसकी सुंदर झांकी प्रस्तुत की। इस सत्र में डॉ0 भगवती लाल व्यास, डॉ0 हरिश्चंद्र बोरकर, डॉ0 शेषपाल सिंह शेष, डॉ00पी0 बनमाली तथा अश्विनी कुमार पाठक ने भी अपने विचार रखे, जिनका केन्द्रीय भाव यही रहा कि बाल काव्य सरस और आनंददायक होना चाहिए, जिसे पढ़कर बच्चा बरबस कह उठे कि मजा आ गया।

कहानी सत्र: मंचस्‍थ विद्वत जन (बाएं से दाएं)-श्री गोविंद शर्मा, श्रीमती विमला भण्‍डारी, श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी, संचालक श्री घनश्‍याम मैथिल, एवं जाकिर अली रजनीश, (माइक पर पत्र वाचन)
कार्यक्रम का द्वितीय वैचारिक सत्र कहानी के नाम रहा, जिसमें डॉ0 जाकिर अली रजनीशने इक्कीसवीं सदी की बाल कहानियाँशीर्षक पत्रावाचन करते हुए हिन्दी की मौलिक एवं यादगार कहानियों की चर्चा की और आलोचनात्मक लेखन की आवश्यकता बताईसाथ ही उन्होंने बाल साहित्यकारों का आह़वान करते हुए कहा कि बाल कहानीकार अतार्किक एवं वायवीय परीकथाओं के मोहजाल से बाहर निकल कर बच्चों की वास्तविक जरूरतों के अनुरूप मौलिक रचनाओं का प्रणयन करें, जिससे बच्चों में आत्मविश्वास का विकास हो और वे अपनी सामाजिक चुनौतियों का सामने करने के लिए बेहतर ढ़ंग से तैयार हो सकें। इस सत्र में भगवती प्रसाद द्विवेदी, विमला भण्डारी, गोविंद शर्मा एवं घनश्याम मैथिल ने अपने विचार रखे और इसे विचारोत्तेजक रूवरूप स्वरूप प्रदान करते हुए आगे बढ़ाया। 

उपन्‍यास सत्र: मंचस्‍थ विद्वतजन (बाएं से दाएं)- श्रीमती सुकीर्ति भटनागर, श्री विष्‍णु प्रसाद चतुर्वेदी, डॉ0 रवि शर्मा, श्री संजीव जायसवाल संजय, श्री रमेश तैलंग एवं श्री नागेश पांडेय संजय।
इस चर्चा में जहाँ कई वक्ताओं ने इक्कीसवीं सदी को वर्ष विशेष तक सीमित करने का प्रयास किया, वहीं कुछ लोगों ने परी कथाओंको उसके व्यापक अर्थ (राजा-रानी, भूत-प्रेत, मंत्र-चमत्कारों की अतार्किक रचनाओं) के बजाए उसके शाब्दिक अर्थ (परियों पर लिखी गयी कहानी) के क्रम में लेते हुए जाकिर अली रजनीशके वक्तव्य से अपनी असमति व्यक्त की और बच्चों को भारतीय संस्कृति से परिचय कराने के लिए उनके लेखन को जारी रखने की वकालत की।


बाल उपन्यास पर केन्द्रित तीसरे वैचारिक सत्र का मुख्य आकर्षण रमेश तैलंग का सारगर्भित पत्रावाचन रहा, जोकि इक्कीसवीं सदी के चर्चित किशोर उपन्यासों पर केन्द्रित रहा। उन्होंने अपने सारगर्भित सम्बोधन में बाल उपन्यासों की समृद्ध परम्परा का जिक्र करते हुए विनायक, हरिकृष्ण देवसरे, प्रकाश मनु, क्षमा शर्मा, देवेन्द्र कुमार, सूर्यनाथ सिंह, विष्णुप्रसाद चतुर्वेदी, कमल चोपड़ा, श्रीनिवास वत्स आदि के उपन्यासों के बहाने किशोर उपन्‍यासों के अनेक स्‍तरों को सामने रखा। सत्र में सुकीर्ति भटनागर, विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी, डॉ0 रवि शर्मा, संजीव जायसवाल संजय, डॉ0 नागेश पाण्डेय संजय ने भी बाल उपन्यासों के विविध पक्षों से अवगत कराते हुए चर्चा को आगे बढ़ाया।

डॉ0 राष्‍ट्रबंधु (सम्‍पादक- बाल साहित्‍य समीक्षा) का सारस्‍वत सम्‍मान
वृहद पैमाने पर आयोजित इस कार्यक्रम में देश के 14 प्रदेशों से आए 07 दर्जन से अध्कि प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में बाल वाटिकाके अक्टूर 2011 के विशेषाँक सहित चाँद सितारे छू लेने दो (अश्विनी पाठक), टेसू के फूल (शिवचरण सेन शिवा), बहादुर लक्ष्मी, बकासुर वध (प्रभात गुप्त), गुलिड़न जा गीत (हूंदराज बलवाणी), लारी लप्पा (नागेश पाण्डेय संजय) पुस्तकों का विमोचन किया गया। इस अवसर पर 01 अक्टूबर को गाँधी जी को समर्पित बाल काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें रचनाकारों ने जोर-शोर से भाग लिया।

वर्ष 1997 से सतत रूप से आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में विविध विधाओं की पुस्तकों के लिए लेखकों को पुरस्कृत किया गया। पुरस्कृत होने वाले रचनाकारों में सर्वश्री अजय जनमेजय, अश्वनीकुमार पाठक, भगवती प्रसाद द्विवेदी, जाकिर अली रजनीश, संजीव जायसवाल संजय, सुकीर्ति भटनागर, रवि शर्मा, गोविन्द शर्मा, काशीलाल शर्मा, मुनिलाल उपाध्याय सरस, नागेश पाण्डेय संजय, दीनदयाल शर्मा के नाम शामिल हैं। सभी रचनाकारों को पुरस्कार स्वरूप श्रीफल, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह एवं रु0 2500 की राशि प्रदान की गयी। इस अवसर पर डॉ0 राष्ट्रबंधु के 79वें जन्म दिन के उपलक्ष्य में उनका सारस्वत सम्मान भी किया गया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संयोजन बाल वाटिकाके यशस्वी सम्पादक डॉ0 भैरूलाल गर्ग के द्वारा सम्पन्न हुआ।

COMMENTS

BLOGGER: 13
  1. बधाई ।
    सार्थक कार्यक्रम ।
    पारम्‍परिक भोज देखकर बचपन के दिन याद आ गए ।

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  2. बढ़िया प्रस्तुति ||

    आपको --
    हमारी बहुत बहुत बधाई ||

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  3. बधाई आपको....एक अच्छे आयोजन की जानकारी दी.....

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  4. सभी चित्र एवं वर्णन रोचक हैं। आपको पुरस्कृत होने पर हार्दिक मुबारकवाद।

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  5. बधाई आपको...सभी चित्र एवं वर्णन रोचक हैं..

    जवाब दें हटाएं
  6. NICE.
    --
    Happy Dushara.
    VIJAYA-DASHMI KEE SHUBHKAMNAYEN.
    --
    MOBILE SE TIPPANI DE RAHA HU.
    ISLIYE ROMAN ME COMMENT DE RAHA HU.
    Net nahi chal raha hai.

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  7. आपको और आयोजकों को इस महत्वपूर्ण आयोजन पर बधाई!

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  8. आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।

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  9. आपको बहुत-बहुत बधाई,बढ़िया आयोजन.

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  10. बढिया रिपोर्ट॥ कानपुर के डॉ. राष्ट्रबंधु जी का सम्मान बाल साहित्य का ही सम्मान समझा जाएगा क्योंकि उन्होंने सारा जीवन बाल साहित्य की उन्नति के लिए समर्पित कर दिया और बंद होती पत्रिका को बचा लिया॥

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  11. dear rajneesh,

    hearty congratulations on winning the children award at bhilwara.

    i wish to add man more feathers to your cap.

    harish goyal

    जवाब दें हटाएं
आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

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हिंदी वर्ल्ड - Hindi World: सार्थक बहस के लिए याद किया जाएगा भीलवाड़ा का बालसाहित्य समारोह।
सार्थक बहस के लिए याद किया जाएगा भीलवाड़ा का बालसाहित्य समारोह।
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