यदि आप लेखक हैं, कल्पनाशील हैं, तो यह मौका आप ही के लिए है। जी हाँ, ओस्लो विश्वविद्यालय, बोकवैनें लिट्रेरी मैग्जीन, प्रतिलिपि बाइ...
यदि आप लेखक हैं, कल्पनाशील हैं, तो यह मौका आप ही के लिए है।
जी हाँ, ओस्लो विश्वविद्यालय, बोकवैनें लिट्रेरी मैग्जीन, प्रतिलिपि बाइलिंगुअल जर्नल, नॉर्वीजियन ट्रांसलेटर एसोसिएशन एवं साहित्य अकादेमी संयुक्त रूप से भारत-नार्वे गल्पात्मक लेखन प्रतियोगिता ‘तुम्हारी नज़र से’ का आयोजन कर रहे हैं, जिसके प्रथम विजेता को नार्वे की मुफ्त सैर कराई जाएगी।
प्रतियोगिता हिन्दी और अंग्रेजी में संयुक्त रूप से है। प्रतियोगिता के लिए मुख्य शर्त यह है कि रचना में नार्वे के भूगोल को लिया गया हो। रचना की विधा में कोई बंदिश नहीं है। वह कहानी, लेख आदि कुछ भी हो सकता है। रचना की अधिकतम लम्बाई १०००० संकेत (स्पेस समेत) या लगभग पाँच पृष्ठ है। सभी रचनाएँ मौलक एवं स्वरचित होनी चाहिए।
निर्णायक समूह श्रेष्ठ रचना के अतिरिक्त चुनी गयी 14-15 रचनाओं को पुस्तकाकार रूप में भी प्रकाशित करेगा।
प्रतियोगिता हेतु प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथि 18 जून, 2012 है। प्रविष्टियाँ यूनिकोड में होनी चाहिए, उन्हें अन्तिम तिथि तक indonorway@gmail.com पर भेजा जा सकता है।
इस सम्बंध में अन्य सूचना प्रतियोगिता के अधिकारिक ब्लॉग (http://indianorway.wordpress.com) पर देखी जा सकती है।
क्या लिखें , नॉर्वे के बारे में कुछ जानते ही नहीं .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.... आपके इस पोस्ट की चर्चा आज 14-6-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित है ...अरे आप लिखते क्यूँ नहीं... लिखते रहें ....धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...
जवाब देंहटाएंज़र्रानवाज़ी का शुक्रिया।
हटाएंबहुत खूब.... आपके इस पोस्ट की चर्चा आज 14-6-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित है ...अरे आप लिखते क्यूँ नहीं... लिखते रहें ....धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...
जवाब देंहटाएंसूचना के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंरोचक..
जवाब देंहटाएंनमस्ते रजनीश जी ..आपने एक दिन पहले मेरे सपने मेरी दुनिया में एक सूचना दी थी नार्वे पर लिखना अपनी नजर से .कुछ संयोग है कि मैंने पिछले दिनों इसी देश से संबधित कई किताबें लेख आदि पढ़े और यूँ ही खुद से कहा जाना है एक दिन ओस्लो जरुर :) और यही सोच कर लेख लिख कर भेज दिया है ..दुआ करे कि कामयाब हो जाए लिखना :) और इस में एक बात समझ नहीं आ रही है कि हिंदी इंग्लिश दोनों में से एक एक चुना जाएगा या दोनों में से अलग अलग ? आपके पास इस से जुडी हुई कोई खबर आये तो मुझे जरुर सूचित करें ..वैसे मैंने आपका बताया हुआ पेज बुकमार्क कर लिया है पर फिर भी कई बार चूक हो जाती है .शुक्रिया आपका इस लिंक को देने के लिए ..और यदि इस तरह के कोई और भी हो तो प्लीज़ मुझे अवश्य बता दें .मैं इस तरह का लिखने में हमेशा ही उत्सुक रहती हूँ ...पर पता नहीं लगा पाती कि कहाँ कैसे भेजना है ..आप बता देंगे तो फिर मुझे भी जानकारी हो जायेगी इस तरह के लिंक को देखने की .शुक्रिया एक बार फिर से आपका ..
जवाब देंहटाएं(मेल से प्राप्त)
हमारी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आपका सपना पूरा हो।
हटाएंआशय यही है डॉ श्याम गुप्त जी ,डॉ जाकिर भाई रजनीश जी हमारी मौखिक परम्पराएं ,दंत कथाएँ फिर चाहे भले वे धार्मिक रंजक लिए हों उनमे मौजूद विज्ञान तत्वों पर चर्चा हो .विज्ञान कथा लेखन को पंख लगें .वैसे भी दंत कथाओं का कोई मानक स्वरूप नहीं होता है जितने मुख उतनी कथाएँ .आप सभी विद्वत जनों का आभार .
जवाब देंहटाएंआभार इस सूचना के लिए .
आभार इस सूचना के लिए .
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